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कर्मचारियों को लगेगा तगड़ा झटका, छठे, 7वें वेतन आयोग की तरह नहीं होगी उम्मीद पूरी 8th Pay Commission

By Meera Sharma

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8th Pay Commission

8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों में उत्साह के साथ-साथ चिंता भी दिखाई दे रही है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार इस बार कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है और उन्हें छठे तथा सातवें वेतन आयोग की तरह निराशा हाथ लग सकती है। केंद्र सरकार ने जनवरी में आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी जिसके बाद से ही कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर सक्रिय हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार कर्मचारियों की सभी मांगों को पूरा करने की स्थिति में नहीं है। यह स्थिति लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए चिंता का विषय बन गई है।

फिटमेंट फैक्टर को लेकर मतभेद

नेशनल काउंसिल जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी के कर्मचारियों ने आठवें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से अधिक रखने की मांग की है। वर्तमान में सातवें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 निर्धारित है जिसके आधार पर कर्मचारियों के वेतन की गणना होती है। कर्मचारी संगठनों का तर्क है कि बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की बढ़ती लागत को देखते हुए फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि आवश्यक है। हालांकि सरकारी सूत्रों का कहना है कि फिटमेंट फैक्टर में बड़ी वृद्धि की संभावना कम दिख रही है। इससे कर्मचारियों में निराशा का भाव बढ़ रहा है।

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कर्मचारी संगठनों की व्यापक मांगें

फरवरी 2025 में कर्मचारी संगठनों ने आठवें वेतन आयोग के संदर्भ की शर्तों में शामिल करने के लिए 15 महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं। इन मांगों में इंडस्ट्रियल और नॉन-इंडस्ट्रियल कर्मचारियों के अलावा अखिल भारतीय सेवाओं, रक्षा और अर्धसैनिक बलों के वेतन की समीक्षा शामिल है। कर्मचारी चाहते हैं कि ग्रामीण डाक सेवकों और अन्य श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों में भी उचित वृद्धि की जाए। उनका मुख्य जोर आधुनिक जीवन स्तर के अनुकूल वेतन संरचना बनाने पर है। ये मांगें 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों पर आधारित हैं।

आयोग लागू होने की संभावित तारीख

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कर्मचारी संगठनों की मांग है कि आठवां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से प्रभावी हो जाना चाहिए। वे चाहते हैं कि नए वेतन आयोग में केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और लाभों में आधुनिक जीवन स्तर के अनुकूल बदलाव हो। आयोग को न्यूनतम मजदूरी का सुझाव देते समय 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को ध्यान में रखना चाहिए। हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है कि नया वेतन आयोग कब से लागू होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग की सिफारिशों को तैयार करने और लागू करने में कम से कम दो साल का समय लग सकता है।

सरकार की संभावित रणनीति

पूर्व वित्त सचिवों और विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार कर्मचारी संगठनों की सभी मांगों को पूरा करने की स्थिति में नहीं है। आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार सरकार कर्मचारियों के साथ 1.92 के फिटमेंट फैक्टर पर समझौता कर सकती है जो कर्मचारियों की अपेक्षाओं से काफी कम है। यह स्थिति कर्मचारियों के लिए निराशाजनक हो सकती है क्योंकि वे अधिक वेतन वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। सरकार के लिए मुख्य चुनौती राजकोषीय अनुशासन बनाए रखना और कर्मचारियों की उचित मांगों को पूरा करना है। इस संतुलन को बनाना आसान नहीं होगा।

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सातवें वेतन आयोग का अनुभव

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2015 में आईं थीं जब कर्मचारियों ने न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 26,000 रुपये करने की मांग की थी। यह तत्कालीन न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से लगभग 3.7 गुना अधिक था। कर्मचारी संगठनों का कहना था कि यह राशि 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों और आम नागरिकों की जरूरतों के अनुकूल थी। हालांकि आयोग ने इन मांगों को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया और एक्रॉयड फार्मूले के आधार पर 18,000 रुपये न्यूनतम वेतन और 2.57 का फिटमेंट फैक्टर निर्धारित किया। यह कर्मचारियों की अपेक्षाओं से कम था।

छठे वेतन आयोग की याद

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छठे वेतन आयोग के दौरान भी कर्मचारियों को इसी तरह की निराशा हुई थी। उस समय कर्मचारी संगठनों ने 10,000 रुपये न्यूनतम वेतन की मांग की थी। उनका तर्क था कि सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी इस वेतन पर काम कर रहे हैं तो केंद्रीय कर्मचारियों के साथ भेदभाव क्यों हो। लेकिन आयोग ने इस मांग को अव्यावहारिक बताते हुए केवल 5,479 रुपये न्यूनतम मूल वेतन की गणना की। बाद में इसे बढ़ाकर 6,600 रुपये और अंततः 7,000 रुपये कर दिया गया। यह घटना स्पष्ट करती है कि वेतन आयोग अक्सर कर्मचारियों की मांगों से कम सिफारिश करते हैं।

महंगाई का बढ़ता बोझ

वर्तमान समय में महंगाई की दर लगातार बढ़ रही है जिससे कर्मचारियों की क्रय शक्ति में गिरावट आ रही है। खाद्य पदार्थ, ईंधन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती कीमतें कर्मचारियों के लिए चिंता का कारण बन गई हैं। इसी कारण कर्मचारी संगठन मांग कर रहे हैं कि आठवें वेतन आयोग में देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए वेतन और पेंशन में उचित वृद्धि की जाए। वे चाहते हैं कि इस बार सरकार कर्मचारियों की वास्तविक समस्याओं को समझे और उनकी जीवन स्थिति में सुधार लाए।

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भविष्य की संभावनाएं

हालांकि अभी तक के संकेतों से लगता है कि आठवें वेतन आयोग में भी कर्मचारियों को पूर्ण संतुष्टि नहीं मिल सकती है। फिर भी वर्तमान और सेवानिवृत्त दोनों कर्मचारी आशा कर रहे हैं कि इस बार उन्हें कुछ राहत अवश्य मिलेगी। वे उम्मीद करते हैं कि सरकार उनकी न्यायसंगत मांगों पर विचार करेगी और आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उचित वेतन वृद्धि प्रदान करेगी। अंततः यह निर्भर करता है कि सरकार कितनी राजकोषीय जगह बना सकती है और कर्मचारी कल्याण को कितनी प्राथमिकता देती है।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। आठवें वेतन आयोग की वास्तविक सिफारिशें अभी आनी बाकी हैं और वे सरकारी नीतियों तथा आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं। किसी भी वित्तीय योजना बनाने से पहले आधिकारिक घोषणाओं की प्रतीक्षा करें। लेखक या प्रकाशक इस जानकारी के उपयोग से होने वाले किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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