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अब बैंक डूबने पर ग्राहकों को इतना पैसा मिलेगा वापस, सरकार ने किया बड़ा बदलाव Bank Rule

By Meera Sharma

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Bank Rule

Bank Rule: आज के वित्तीय परिदृश्य में बैंकिंग क्षेत्र को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले वर्ष भर में अनेक बैंकों को वित्तीय संकट से गुजरना पड़ा है जिसके कारण RBI को कुछ बैंकों को बंद करने का कठिन निर्णय लेना पड़ा। इन घटनाओं ने आम जमाकर्ताओं के मन में गहरी चिंता पैदा की है कि यदि उनका बैंक बंद हो जाए तो उनके जमा पैसों का क्या होगा।

बैंक की विफलता किसी भी व्यक्ति के लिए एक दुःस्वप्न जैसी स्थिति होती है। जीवन भर की कमाई और बचत को लेकर लोग परेशान हो जाते हैं। कई लोगों को इन घटनाओं में वास्तविक नुकसान भी झेलना पड़ा है। इसी समस्या को देखते हुए सरकार और RBI ने जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण उपाय है बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस योजना।

DICGC का सुरक्षा तंत्र

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डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) भारत में बैंक जमा की सुरक्षा का मुख्य संस्थान है। यह संस्था वर्तमान में प्रत्येक बैंक खाते में जमा 5 लाख रुपये तक की राशि की सुरक्षा प्रदान करती है। इसका अर्थ यह है कि यदि किसी कारणवश आपका बैंक दिवालिया हो जाता है तो आपको कम से कम 5 लाख रुपये तक की राशि वापस मिलने की गारंटी है।

यह बीमा योजना सभी प्रकार के बैंक खातों पर लागू होती है। इसमें बचत खाता, चालू खाता और अन्य सभी प्रकार की जमा राशि शामिल है। DICGC की यह सुविधा स्वचालित रूप से सभी पात्र खातों पर लागू होती है और इसके लिए अलग से कोई आवेदन या शुल्क देने की आवश्यकता नहीं होती। यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है जो जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करता है।

बीमा कवरेज बढ़ाने की तैयारी

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सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण घोषणा की तैयारी चल रही है। वर्तमान में 5 लाख रुपये के बीमा कवर को बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। यह निर्णय जमाकर्ताओं के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है। अगले छह महीनों में इस संबंध में औपचारिक घोषणा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

इस बदलाव का मतलब यह होगा कि भविष्य में यदि कोई बैंक विफल हो जाता है तो जमाकर्ताओं को दोगुनी राशि तक की सुरक्षा मिलेगी। यह विशेष रूप से मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए फायदेमंद होगा जो अपनी जीवन भर की बचत बैंकों में रखते हैं। वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बैंकिंग सिस्टम में जमाकर्ताओं का भरोसा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

डिपॉजिट इंश्योरेंस की कार्यप्रणाली

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बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस एक व्यापक सुरक्षा तंत्र है जो विभिन्न प्रकार की जमा राशि को सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें व्यक्तिगत बचत खाते, चालू खाते, फिक्स्ड डिपॉजिट और आवर्ती जमा खाते सभी शामिल हैं। वाणिज्यिक बैंकों के साथ-साथ सहकारी बैंकों में रखी गई जमा राशि भी इस बीमा के दायरे में आती है।

यह बीमा योजना केवल मूल राशि (प्रिंसिपल अमाउंट) पर ही लागू नहीं होती बल्कि बैंक बंद होने की तारीख तक जमा हुए ब्याज पर भी लागू होती है। हालांकि यह महत्वपूर्ण है कि कुल मिलाकर बीमा की राशि वर्तमान में 5 लाख रुपये की सीमा तक ही सीमित है। इससे अधिक राशि के लिए जमाकर्ता को बैंक की वसूली प्रक्रिया का इंतजार करना पड़ता है जो काफी लंबी और अनिश्चित हो सकती है।

बीमा कवरेज की सीमाएं और चुनौतियां

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वर्तमान बीमा व्यवस्था की कुछ महत्वपूर्ण सीमाएं हैं जिन्हें समझना आवश्यक है। यदि किसी व्यक्ति के पास एक ही बैंक में कई खाते हैं तो सभी खातों की राशि को मिलाकर अधिकतम 5 लाख रुपये तक का ही बीमा मिलता है। इसका मतलब यह है कि यदि आपके पास एक ही बैंक में बचत खाता, चालू खाता और फिक्स्ड डिपॉजिट है तो सभी की कुल राशि मिलाकर केवल 5 लाख रुपये तक ही सुरक्षित है।

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह बीमा तुरंत नहीं मिलता। बैंक बंद होने के बाद DICGC की एक विस्तृत प्रक्रिया होती है जिसमें कुछ समय लग सकता है। हालांकि DICGC का लक्ष्य 90 दिनों के भीतर भुगतान करना है, लेकिन व्यावहारिक रूप में यह समय अधिक भी लग सकता है। इसलिए जमाकर्ताओं को धैर्य रखना पड़ता है।

विभिन्न प्रकार के खातों का कवरेज

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DICGC का बीमा कवरेज व्यापक है और यह लगभग सभी प्रकार के बैंक खातों को शामिल करता है। व्यक्तिगत खातों के अलावा व्यावसायिक खाते, ट्रस्ट खाते, समाज और क्लब के खाते भी इस बीमा के दायरे में आते हैं। हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के खाते भी सुरक्षित हैं। यहां तक कि संयुक्त खाते भी अलग से बीमा कवरेज पाते हैं।

लेकिन कुछ विशेष प्रकार के खाते इस बीमा के दायरे में नहीं आते। इसमें सरकारी जमा, बैंकों की अपनी जमा, और विदेशी सरकारों की जमा शामिल है। केंद्रीय और राज्य सरकार के खाते भी इस बीमा से बाहर हैं। इसी तरह बैंकिंग कंपनियों की आपस की जमा भी कवर नहीं होती। इन सीमाओं को समझना जमाकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है।

भविष्य की संभावनाएं और सुझाव

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बीमा कवरेज बढ़ाने का प्रस्तावित निर्णय भारतीय बैंकिंग सिस्टम के लिए एक सकारात्मक कदम है। 10 लाख रुपये की बीमा राशि आज के समय की आर्थिक जरूरतों के अधिक अनुकूल है। पिछली बार यह राशि 2020 में 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख की गई थी। अब इसे दोगुना करने की योजना वर्तमान महंगाई दर और लोगों की बढ़ती आय को देखते हुए उचित है।

जमाकर्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपनी बड़ी राशि को अलग-अलग बैंकों में बांटकर रखें ताकि अधिकतम बीमा कवरेज का लाभ उठा सकें। इसके अलावा केवल उन्हीं बैंकों का चुनाव करें जो DICGC के सदस्य हैं। अधिकतर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और सहकारी बैंक इसके सदस्य हैं लेकिन फिर भी इसकी पुष्टि करना बेहतर है। आने वाले समय में यह बीमा कवरेज जमाकर्ताओं के लिए और भी बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगा।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस के नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं। सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए DICGC की आधिकारिक वेबसाइट या अपने बैंक से संपर्क करें। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले योग्य सलाहकार से परामर्श लें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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