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मकान मालिक कब बढ़ा सकता है किराया, किराएदार जान लें अपने 5 कानूनी अधिकार Tenant Rights

By Meera Sharma

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Tenant Rights

Tenant Rights: आज के समय में शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोग किराए के मकानों में जीवन यापन करते हैं। रोजगार की तलाश और बेहतर शिक्षा के अवसरों के कारण लोग अपने मूल स्थान से दूर जाकर किराए के मकानों में रहने को मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में किराएदारों के अधिकारों की जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। कई बार मकान मालिक अपनी मनमानी करने की कोशिश करते हैं और किराएदारों को परेशान करते हैं। ऐसे में कानूनी जानकारी का होना किराएदारों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

भारतीय कानून व्यवस्था में किराएदारों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इन नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न तो मकान मालिक अपनी शक्ति का दुरुपयोग करे और न ही किराएदार को अनुचित परेशानी का सामना करना पड़े।

रेंट एग्रीमेंट की अवधि में सुरक्षा

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कानून के अनुसार मकान मालिक किराएदार को रेंट एग्रीमेंट की निर्धारित अवधि पूरी होने से पहले मकान से नहीं निकाल सकता। यह किराएदारों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है जो उन्हें आवासीय स्थिरता प्रदान करता है। रेंट एग्रीमेंट एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें दोनों पक्षों के अधिकार और कर्तव्य स्पष्ट रूप से लिखे होते हैं। इस अवधि के दौरान किराएदार को यह विश्वास रहता है कि वह बिना किसी डर के अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।

यह नियम विशेष रूप से उन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण है जिनके बच्चे स्कूल जाते हैं या जो किसी स्थायी नौकरी में लगे हुए हैं। एग्रीमेंट की अवधि के दौरान आवासीय सुरक्षा मिलने से वे अपने काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों पर ध्यान दे सकते हैं।

किराएदार को निकालने की विशेष परिस्थितियां

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हालांकि सामान्यतः मकान मालिक एग्रीमेंट की अवधि के दौरान किराएदार को नहीं निकाल सकता, लेकिन कुछ विशेष स्थितियों में यह संभव है। यदि किराएदार लगातार दो महीने से अधिक समय तक किराया नहीं देता है तो मकान मालिक उसे घर खाली करने के लिए कह सकता है। इसके अतिरिक्त यदि किराएदार मकान का उपयोग एग्रीमेंट में उल्लिखित उद्देश्य के विपरीत करता है तो भी यह आधार बन सकता है। उदाहरण के लिए यदि मकान आवासीय उपयोग के लिए दिया गया है लेकिन किराएदार उसमें व्यावसायिक गतिविधियां चलाता है।

इन स्थितियों में भी मकान मालिक को तुरंत कार्रवाई नहीं करनी चाहिए बल्कि किराएदार को 15 दिन का लिखित नोटिस देना अनिवार्य है। यह नोटिस किराएदार को अपनी गलती सुधारने या वैकल्पिक व्यवस्था करने का अवसर प्रदान करता है।

किराया वृद्धि के नियम और प्रक्रिया

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मकान मालिक अचानक से किराया नहीं बढ़ा सकता है। कानून के अनुसार किराया बढ़ाने के लिए मकान मालिक को किराएदार को कम से कम तीन महीने पहले लिखित नोटिस देना आवश्यक है। यह नियम किराएदारों को अपनी वित्तीय योजना बनाने और बढ़े हुए किराए की व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त समय देता है। तीन महीने की अवधि में किराएदार चाहे तो नई जगह की तलाश भी कर सकता है या मकान मालिक से बातचीत करके उचित राशि तय कर सकता है।

यह नियम मकान मालिकों की मनमानी पर अंकुश लगाता है और किराएदारों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। अचानक किराया बढ़ाने से किराएदारों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है जिसे इस नियम से रोका जा सकता है।

बुनियादी सुविधाओं का अधिकार

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किराएदारों का यह मौलिक अधिकार है कि उन्हें मकान में बुनियादी सुविधाएं मिलें। इसमें बिजली कनेक्शन, स्वच्छ पेयजल और पार्किंग की सुविधा शामिल है। मकान मालिक इन बुनियादी सुविधाओं को प्रदान करने से इनकार नहीं कर सकता। यदि मकान में ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं तो मकान मालिक की जिम्मेदारी है कि वह इन्हें उपलब्ध कराए। किराएदार को गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है।

ये सुविधाएं आधुनिक जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं हैं और इनके बिना सभ्य जीवन यापन संभव नहीं है। मकान मालिक यदि इन सुविधाओं से इनकार करता है तो किराएदार कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

सिक्योरिटी डिपॉजिट के नियम

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कानून के अनुसार सिक्योरिटी मनी दो महीने के किराए से अधिक नहीं हो सकती। यदि मकान मालिक इससे अधिक राशि मांगता है तो इसका स्पष्ट उल्लेख रेंट एग्रीमेंट में होना चाहिए। सिक्योरिटी डिपॉजिट का उद्देश्य किसी नुकसान की भरपाई या अवैतनिक किराए की वसूली है न कि मकान मालिक के लिए अतिरिक्त आय का साधन। मकान खाली करते समय यदि कोई नुकसान नहीं हुआ है तो मकान मालिक को एक महीने के भीतर यह राशि वापस करनी होगी।

यह नियम किराएदारों को आर्थिक शोषण से बचाता है और उनके धन की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। कई बार मकान मालिक सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस करने में देरी करते हैं या बहाने बनाते हैं जो कानूनी रूप से गलत है।

मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी

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मकान की संरचनागत मरम्मत और रखरखाव की पूर्ण जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। यदि मकान की दीवारें, छत, नलकूप या अन्य बुनियादी ढांचा खराब हो जाता है तो इसकी मरम्मत मकान मालिक को करानी होगी। किराएदार से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह अपने पैसे से मकान की बड़ी मरम्मत कराए। यदि मकान मालिक मरम्मत कराने में असमर्थ है या मना करता है तो किराएदार किराया कम करने की मांग कर सकता है।

इस स्थिति में यदि विवाद होता है तो किराएदार रेंट अथॉरिटी से संपर्क कर सकता है। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि किराएदार को रहने योग्य मकान मिले और उसे अनावश्यक खर्च न उठाना पड़े।

किराएदार की निजता का सम्मान

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रेंट एग्रीमेंट लागू होने के बाद मकान मालिक को किराएदार की निजता का सम्मान करना चाहिए। मकान मालिक बिना पूर्व सूचना के मकान में प्रवेश नहीं कर सकता। यदि कोई आपातकालीन मरम्मत या निरीक्षण की आवश्यकता है तो मकान मालिक को कम से कम 24 घंटे पहले लिखित नोटिस देना होगा। किराएदार की अनुपस्थिति में मकान मालिक तालाबंदी नहीं तोड़ सकता या सामान बाहर नहीं निकाल सकता।

यह नियम किराएदार के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है और उसे मानसिक शांति प्रदान करता है। घर में रहते समय निजता और सुरक्षा की भावना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

Disclaimer

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यह लेख सामान्य कानूनी जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। विभिन्न राज्यों में किराएदारी कानून अलग-अलग हो सकते हैं। किसी भी कानूनी समस्या के लिए योग्य वकील से सलाह लेना उचित होगा। यह लेख कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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