Advertisement

इस संपत्ति से ही किया जा सकता है औलाद को बेदखल, यह है कानून parents property

By Meera Sharma

Published On:

parents property

parents property: संपत्ति का कानून भारत में काफी जटिल और विस्तृत है जिसकी पूरी जानकारी अधिकतर लोगों को नहीं होती। परिवारिक रिश्तों में कटुता आने पर कई बार माता-पिता को अपनी संतान को संपत्ति से बेदखल करने की नौबत आ जाती है। हालांकि यह एक पीड़ादायक स्थिति होती है लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह आवश्यक हो जाता है। संपत्ति से बेदखली का मतलब यह होता है कि अब संतान का उस संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं रहता और माता-पिता भविष्य में उनके किसी भी कार्य के लिए जिम्मेदार नहीं होते।

लेकिन यह जानना जरूरी है कि माता-पिता अपनी हर संपत्ति से संतान को बेदखल नहीं कर सकते। भारतीय कानून में संपत्ति के अलग-अलग प्रकार हैं और उनके अलग-अलग नियम हैं। कुछ संपत्ति ऐसी होती है जिससे चाहकर भी माता-पिता अपनी संतान को बेदखल नहीं कर सकते। इसलिए संपत्ति के कानून को समझना और अपने अधिकारों को जानना हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है।

संपत्ति से बेदखली के मुख्य कारण

यह भी पढ़े:
DA Hike महंगाई भत्ते बढोत्तरी पर अंतिम फैसला, हुआ कन्फर्म इतनी कर्मचारियों की सैलरी में हुई बढ़ोतरी DA Hike

माता-पिता द्वारा संतान को संपत्ति से बेदखल करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे मुख्य कारण यह होता है कि संतान माता-पिता की देखभाल नहीं करती या उनके साथ दुर्व्यवहार करती है। कई बार संतान अपने माता-पिता को बुढ़ापे में अकेला छोड़कर चली जाती है या उनकी जरूरतों को नजरअंदाज करती है। ऐसी स्थिति में माता-पिता को अपनी संपत्ति वापस लेने का कानूनी अधिकार मिल जाता है।

दूसरा प्रमुख कारण संतान का गलत राह पर चलना या माता-पिता की इच्छा के विपरीत कार्य करना होता है। जब संतान माता-पिता की सलाह और मार्गदर्शन को नजरअंदाज करके गलत काम करती है तो माता-पिता निराश होकर उन्हें संपत्ति से बेदखल करने का फैसला लेते हैं। कई बार पारिवारिक कलह, वैवाहिक विवाद या आर्थिक मतभेद भी इसके कारण बनते हैं।

संपत्ति के दो मुख्य प्रकार

यह भी पढ़े:
Salary Hike सैलरी बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे करोड़ों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को तगड़ा झटका, जानिए कब बढ़ेगा वेतन Salary Hike

भारतीय कानून के अनुसार संपत्ति मुख्यतः दो प्रकार की होती है – पैतृक संपत्ति और स्वअर्जित संपत्ति। इन दोनों के नियम और कानून बिल्कुल अलग हैं। पैतृक संपत्ति वह होती है जो पीढ़ियों से चली आ रही है और जिसमें पिछली चार पीढ़ियों तक कोई विभाजन नहीं हुआ है। यह संपत्ति पूर्वजों से मिली होती है और इसमें परिवार के सभी सदस्यों का जन्म से ही अधिकार होता है।

स्वअर्जित संपत्ति वह होती है जिसे व्यक्ति ने अपनी मेहनत और कमाई से खरीदा या बनाया है। इसमें वह जमीन, मकान, दुकान या अन्य संपत्ति शामिल है जो व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में अर्जित की है। स्वअर्जित संपत्ति पर व्यक्ति का पूर्ण अधिकार होता है और वह इसका उपयोग अपनी इच्छानुसार कर सकता है। इसी कारण से स्वअर्जित संपत्ति के नियम पैतृक संपत्ति से बिल्कुल अलग होते हैं।

स्वअर्जित संपत्ति से बेदखली के नियम

यह भी पढ़े:
Jio 56 Days Recharge Plan जिओ ने शुरू किया 56 दिनों का रिचार्ज प्लान, मिलेगा अनलिमिटेड 5G Data कॉलिंग Jio 56 Days Recharge Plan

स्वअर्जित संपत्ति के मामले में माता-पिता को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है। वे अपनी इस संपत्ति का उपयोग, हस्तांतरण या वितरण अपनी इच्छानुसार कर सकते हैं। यदि माता-पिता चाहें तो वे अपनी संतान को इस संपत्ति से तुरंत बेदखल कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें किसी अदालती कार्रवाई की आवश्यकता नहीं होती बल्कि एक साधारण नोटिस या घोषणा से यह काम हो जाता है।

मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत माता-पिता को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपनी स्वअर्जित संपत्ति को वापस ले सकें। यदि संतान माता-पिता की उचित देखभाल नहीं कर रही या उनके साथ दुर्व्यवहार कर रही है तो माता-पिता कानूनी रूप से अपनी दी गई संपत्ति वापस ले सकते हैं। यह कानून बुजुर्गों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया है।

संपत्ति वापसी का कानूनी अधिकार

यह भी पढ़े:
DA Hike केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी से सैलरी में 10440 रुपये का इजाफा DA Hike

कानूनी तौर पर माता-पिता को अपनी स्वअर्जित संपत्ति वापस लेने का पूर्ण अधिकार है। यदि उन्हें लगता है कि उनकी संतान का व्यवहार उचित नहीं है या वे माता-पिता की जरूरतों को पूरा नहीं कर रहे तो वे दी गई संपत्ति को वापस ले सकते हैं। इसके लिए माता-पिता को अदालत में जाने की जरूरत नहीं होती क्योंकि स्वअर्जित संपत्ति पर उनका पूर्ण स्वामित्व होता है।

सीनियर सिटीजन एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है कि यदि संतान अपने माता-पिता की उचित देखभाल नहीं करती तो माता-पिता अपनी संपत्ति वापस ले सकते हैं। यह कानून माता-पिता को सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें गलत व्यवहार करने वाली संतान से बचने का अधिकार देता है। माता-पिता इस अधिकार का उपयोग करके अपनी संपत्ति को किसी और को भी दे सकते हैं या अपने पास ही रख सकते हैं।

पैतृक संपत्ति में संतान के अधिकार

यह भी पढ़े:
8th Pay Commission आ गई रिपोर्ट, आठवें वेतन आयोग के लागू होने में लगेगा इतना समय 8th Pay Commission

पैतृक संपत्ति के मामले में स्थिति बिल्कुल अलग है। इस संपत्ति में संतान का जन्म से ही अधिकार होता है और माता-पिता चाहकर भी उन्हें इससे बेदखल नहीं कर सकते। पैतृक संपत्ति वह होती है जो कम से कम चार पीढ़ियों से परिवार में चली आ रही है और जिसका कोई विभाजन नहीं हुआ है। यदि इस दौरान किसी भी स्तर पर संपत्ति का बंटवारा हो गया है तो वह पैतृक संपत्ति नहीं रह जाती।

पैतृक संपत्ति में बेटे और बेटियों दोनों का समान अधिकार होता है। माता-पिता इस संपत्ति के केवल संरक्षक होते हैं, मालिक नहीं। इसलिए वे अपनी मर्जी से इसे बेच नहीं सकते या किसी को वसीयत में नहीं दे सकते। पैतृक संपत्ति में हर पीढ़ी का अधिकार सुरक्षित रहता है और कोई भी व्यक्ति दूसरे को इससे वंचित नहीं कर सकता।

बेदखली से बचने के उपाय

यह भी पढ़े:
Income Tax Rules टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत, अब इतने साल पुराने मामले नहीं खोल सकेगा इनकम टैक्स विभाग Income Tax Rules

संतान को अपने माता-पिता की संपत्ति से बेदखल होने से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनकी उचित देखभाल करें। माता-पिता की सेवा और उनकी जरूरतों का ख्याल रखना संतान का नैतिक और कानूनी दायित्व है। यदि संतान अपने इस दायित्व का पालन करती रहे तो माता-पिता कभी भी उन्हें संपत्ति से बेदखल नहीं करेंगे।

पारिवारिक मामलों में संवाद और समझदारी से काम लेना चाहिए। यदि कोई समस्या आती है तो आपस में बैठकर उसका समाधान निकालना चाहिए। कानूनी कार्रवाई या बेदखली तक नौबत न आने देना बेहतर होता है। संतान को यह समझना चाहिए कि माता-पिता का प्यार और आशीर्वाद किसी भी संपत्ति से कहीं अधिक मूल्यवान है।

Disclaimer

यह भी पढ़े:
DA Hike Updates कर्मचारियों का इतना बढ़ेगा महंगाई भत्ता, एक्सपर्ट ने बता दी पूरी रिपोर्ट DA Hike Updates

इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और यह कानूनी सलाह नहीं है। संपत्ति के नियम जटिल हैं और स्थानीय कानूनों के अनुसार अलग हो सकते हैं। किसी भी संपत्ति संबंधी विवाद या निर्णय से पहले योग्य कानूनी सलाहकार से सलाह लेना उचित होगा। लेखक या प्रकाशक इस जानकारी की सटीकता की पूर्ण गारंटी नहीं देते हैं।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

Leave a Comment