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2 हजार के नोट के बाद अब RBI ने इन 2 नोटों की भी छपाई कर दी बंद, जानिए कारण Indian Currency

By Meera Sharma

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Indian Currency

Indian Currency: भारतीय रिजर्व बैंक की ताजा वार्षिक रिपोर्ट में देश की मुद्रा व्यवस्था से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बदलाव सामने आए हैं। आरबीआई ने अपनी नीति में बड़ा परिवर्तन करते हुए 2 रुपये, 5 रुपये और 2000 रुपये के नोटों की छपाई पूर्णतः बंद कर दी है। यह निर्णय भारतीय मुद्रा प्रणाली को और भी सरल और व्यावहारिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस फैसले का मतलब यह है कि अब बाजार में इन नोटों का कोई नया स्टॉक नहीं आएगा।

यह बदलाव केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है बल्कि देश की आर्थिक नीति की दिशा को दर्शाता है। रिजर्व बैंक का उद्देश्य मुद्रा प्रणाली को आधुनिक जरूरतों के अनुकूल बनाना है। इसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि छोटे मूल्य के नोटों की जगह सिक्कों का प्रचलन बढ़ाना और बड़े नोटों की आवश्यकता को कम करना है। यह नीति आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था की मुद्रा संरचना को मजबूत बनाने में सहायक होगी।

दो हजार रुपये के नोट का अंतिम चरण

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दो हजार रुपये के नोट की विदाई का सिलसिला पिछले साल से ही शुरू हो गया था जब आरबीआई ने इन्हें चलन से हटाने की प्रक्रिया आरंभ की थी। रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2025 तक कुल 3.56 लाख करोड़ रुपये मूल्य के दो हजार के नोटों में से 98.2 प्रतिशत नोट वापस बैंकिंग सिस्टम में आ चुके हैं। इसका मतलब यह है कि अब बाजार में इन नोटों की उपस्थिति नाम मात्र की रह गई है।

यह सफल वापसी प्रक्रिया दिखाती है कि भारतीय जनता ने सरकार की नीति का पूरा सहयोग किया है। दो हजार रुपये के नोट की छपाई अब स्थायी रूप से बंद कर दी गई है और यह नोट अब इतिहास का हिस्सा बनने की तैयारी में है। इस नोट को हटाने का मुख्य कारण यह था कि इसका उपयोग कम था और छोटे लेन-देन में यह व्यावहारिक नहीं था। अब भविष्य में इस मूल्य वर्ग का कोई नोट जारी नहीं किया जाएगा।

छोटे नोटों की जगह सिक्कों का बढ़ता प्रचलन

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दो और पांच रुपये के नोटों की छपाई बंद करने का निर्णय भी एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। अब छोटे लेन-देन के लिए लोगों को सिक्कों पर निर्भर रहना होगा क्योंकि इन मूल्य वर्गों में सिक्कों का चलन लगातार बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2025 में सिक्कों की संख्या में 3.6 प्रतिशत और कुल मूल्य में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

1, 2 और 5 रुपये के सिक्कों की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि लोग इन्हें स्वीकार कर रहे हैं। ये तीन मूल्य वर्ग अब कुल सिक्का प्रचलन का 81.6 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं। सिक्कों का फायदा यह है कि ये अधिक टिकाऊ होते हैं और लंबे समय तक चलते हैं। इससे छपाई की लागत भी कम आती है और पर्यावरण पर भी कम प्रभाव पड़ता है।

पांच सौ रुपये के नोट का वर्चस्व

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आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में सबसे अधिक उपयोग 500 रुपये के नोट का हो रहा है। यह नोट कुल नोटों की संख्या का 40.9 प्रतिशत हिस्सा बनाता है और यदि कुल मूल्य की बात करें तो इसकी हिस्सेदारी 86 प्रतिशत है। इसका मतलब यह है कि भारतीय नकदी व्यवस्था अब मुख्यतः 500 रुपये के नोटों पर आधारित है। यह नोट दैनिक लेन-देन के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

500 रुपये का नोट न तो बहुत छोटा है और न ही बहुत बड़ा, जिससे यह अधिकांश खरीदारी के लिए सुविधाजनक है। इसी कारण लोग इसे सबसे अधिक पसंद करते हैं। बाजार में इसकी मांग लगातार बनी रहती है और आरबीआई भी इसकी पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करता है। यह नोट भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गया है।

डिजिटल मुद्रा की तेज रफ्तार

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डिजिटल मुद्रा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। आरबीआई की ई-रुपया की कुल मूल्य वित्तीय वर्ष 2025 में 1,016.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है जो पिछले साल के मुकाबले 334 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्शाती है। डिजिटल करेंसी में भी 500 रुपये के नोट का सबसे अधिक उपयोग हो रहा है जो कुल डिजिटल मुद्रा का 84.4 प्रतिशत हिस्सा है।

यह आंकड़ा दिखाता है कि डिजिटल दुनिया में भी वही नोट सबसे लोकप्रिय है जो भौतिक रूप में प्रचलित है। डिजिटल रुपये की बढ़ती लोकप्रियता भविष्य की मुद्रा व्यवस्था की दिशा का संकेत देती है। लोग धीरे-धीरे डिजिटल भुगतान को अपना रहे हैं और यह प्रवृत्ति आने वाले समय में और भी तेज होने की उम्मीद है।

जाली नोटों की स्थिति और सुरक्षा उपाय

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जाली नोटों के मामले में मिश्रित परिणाम देखने को मिले हैं। 10, 20 और 2000 रुपये के नकली नोटों में कमी आई है लेकिन 200 और 500 रुपये के जाली नोट पहले से अधिक पकड़े जा रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि जालसाजों का ध्यान अब इन्हीं नोटों पर केंद्रित है। आरबीआई लगातार नोटों की सुरक्षा विशेषताओं को बेहतर बना रहा है ताकि जालसाजी को रोका जा सके।

नोट छपाई पर होने वाला खर्च भी बढ़ गया है और वित्तीय वर्ष 2025 में इस पर कुल 6,372.8 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। पुराने और गंदे नोटों को नष्ट करने की प्रक्रिया में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और 2.38 लाख नोट नष्ट किए गए हैं जो पिछले वर्ष से 12.3 प्रतिशत अधिक है। अच्छी बात यह है कि अब इन नोटों को पर्यावरण अनुकूल तरीके से निपटाया जा रहा है।

आधुनिकीकरण और भविष्य की योजनाएं

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भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘सा-मुद्रा’ परियोजना शुरू की है जिसका लक्ष्य मुद्रा प्रबंधन को पूरी तरह से डिजिटल और स्वचालित बनाना है। इसके तहत नोटों की गिनती, छंटाई और ट्रैकिंग को आधुनिक तकनीक से जोड़ा जा रहा है। साथ ही दृष्टिबाधितों के लिए बनाए गए ‘मणि ऐप’ को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि सभी नागरिकों को नकदी तक समान पहुंच मिल सके।

पुराने नोटों का पुनर्चक्रण भी एक सराहनीय पहल है जिसके तहत इनसे पार्टिकल बोर्ड, फर्नीचर और इंटीरियर मैटेरियल बनाया जा रहा है। यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कुल मिलाकर आरबीआई की यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि देश की नकदी व्यवस्था बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है और यह सभी बदलाव एक बेहतर, सुरक्षित और आधुनिक मुद्रा प्रणाली की दिशा में हैं।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है और आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखा गया है। मुद्रा नीति और संबंधित नियमों में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं। सटीक और अद्यतन जानकारी के लिए कृपया भारतीय रिजर्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें। लेखक या प्रकाशक किसी भी प्रकार की हानि के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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