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क्या किराएदार की इजाजत के बिना घर में एंट्री कर सकता है मकान मालिक, किराएदारों को मिले ये अधिकार Tenant Rights

By Meera Sharma

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Tenant Rights

Tenant Rights: आज के समय में बड़े शहरों में रहने वाले अधिकांश लोग किराये के मकान में रहने को मजबूर हैं। किराया समय पर चुकाने के बावजूद कई किरायेदारों को मकान मालिकों की अनुचित हरकतों का सामना करना पड़ता है। कुछ मकान मालिक बार-बार घर से निकालने की धमकी देते हैं, मेहमानों के आने-जाने पर आपत्ति जताते हैं, या बिना अनुमति घर में घुस जाते हैं। ऐसी स्थितियों में किरायेदारों को अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी होना बेहद जरूरी है ताकि वे अपनी सुरक्षा कर सकें।

भारतीय कानून व्यवस्था में किरायेदारों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। टेनेंसी एक्ट 2021 और अन्य संबंधित कानून किरायेदारों को मकान मालिकों के अनुचित व्यवहार से बचाने के लिए बनाए गए हैं। हालांकि कई किरायेदार इन अधिकारों से अवगत नहीं हैं और इसीलिए वे शोषण का शिकार होते रहते हैं। सही जानकारी और कानूनी समझ के साथ किरायेदार अपने हकों की रक्षा कर सकते हैं।

रेंट एग्रीमेंट की महत्वता और आवश्यकता

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किराये का घर लेने से पहले सबसे महत्वपूर्ण काम रेंट एग्रीमेंट बनवाना है। यह दस्तावेज किरायेदार और मकान मालिक दोनों के अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। बिना रेंट एग्रीमेंट के किरायेदार कई कानूनी समस्याओं में फंस सकते हैं और अपने अधिकारों को साबित करने में कठिनाई हो सकती है। एक उचित रेंट एग्रीमेंट में किराये की राशि, अवधि, सिक्योरिटी डिपॉजिट, रखरखाव की जिम्मेदारी और अन्य महत्वपूर्ण शर्तें शामिल होनी चाहिए।

रेंट एग्रीमेंट एक बार बनने के बाद मकान मालिक बिना किरायेदार की सहमति के इसमें कोई एकतरफा बदलाव नहीं कर सकता है। यदि कोई संशोधन करना हो तो दोनों पक्षों की सहमति आवश्यक है। एग्रीमेंट में सभी शर्तों का लिखित रूप में होना जरूरी है क्योंकि मौखिक समझौते कानूनी विवादों के समय काम नहीं आते। यदि एग्रीमेंट में कोई विशेष शर्त नहीं लिखी है तो टेनेंसी एक्ट 2021 के प्रावधानों को माना जाएगा।

निजता के अधिकार और घर में प्रवेश के नियम

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किरायेदारों का सबसे मौलिक अधिकार निजता का अधिकार है। एक बार घर किराये पर दे देने के बाद मकान मालिक बिना किरायेदार की अनुमति के उस घर में प्रवेश नहीं कर सकता है। यह कानून बेहद स्पष्ट है और इसका उल्लंघन करना दंडनीय अपराध है। मकान मालिक को घर में जाने के लिए पहले से सूचना देनी होगी और किरायेदार की सहमति लेनी होगी। आपातकालीन स्थितियों जैसे पानी का लीकेज या आग लगने की स्थिति में ही बिना सूचना के प्रवेश किया जा सकता है।

यदि मकान मालिक बार-बार बिना अनुमति घर में घुसने की कोशिश करता है तो किरायेदार पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकता है। यह व्यवहार निजता के हनन और घर में अवैध प्रवेश की श्रेणी में आता है। किरायेदार को अपने घर में रहने का पूरा अधिकार है और कोई भी इस अधिकार में बाधा नहीं डाल सकता। घर की चाबी केवल किरायेदार के पास होनी चाहिए और मकान मालिक अपने पास डुप्लीकेट चाबी रखकर मनमाने तरीके से प्रवेश नहीं कर सकता।

मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारियां

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घर की मरम्मत और रखरखाव को लेकर अक्सर मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद होता है। कानून के अनुसार छोटी-मोटी टूट-फूट और दैनिक रखरखाव की जिम्मेदारी किरायेदार की होती है। इसमें बल्ब बदलना, नल की मामूली मरम्मत, दीवारों की सफाई और ऐसे काम शामिल हैं जो सामान्य उपयोग से आवश्यक होते हैं। वहीं बिल्डिंग की संरचना से संबंधित बड़ी मरम्मत जैसे छत का लीकेज, दीवारों में दरार, प्लंबिंग की मुख्य लाइन की समस्या या इलेक्ट्रिकल वायरिंग की मरम्मत की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है।

यदि कोई नुकसान किरायेदार की लापरवाही या गलती से हुआ है तो उसकी मरम्मत की जिम्मेदारी किरायेदार की होगी। लेकिन सामान्य टूट-फूट जो समय के साथ प्राकृतिक रूप से होती है, उसके लिए मकान मालिक जिम्मेदार है। रेंट एग्रीमेंट में इन सभी बातों को स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए ताकि बाद में कोई विवाद न हो। यदि मकान मालिक अपनी जिम्मेदारी की मरम्मत करने से मना करता है तो किरायेदार कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

आवागमन पर पाबंदी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता

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कई मकान मालिक किरायेदारों के आने-जाने पर अनुचित पाबंदी लगाते हैं। वे रात को घर लौटने का समय तय करते हैं या मेहमानों के आने पर आपत्ति जताते हैं। यह व्यवहार पूर्णतः गलत है और कानूनी तौर पर मकान मालिक का कोई अधिकार नहीं है कि वह किरायेदार की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में बाधा डाले। घर किराये पर लेने के बाद किरायेदार को वहां रहने का पूरा अधिकार मिल जाता है और वह अपनी सुविधा के अनुसार आ-जा सकता है।

हालांकि सामाजिक शिष्टाचार के तहत देर रात आना-जाना या अधिक शोर-गुल करना उचित नहीं है। पार्किंग और अन्य सामान्य सुविधाओं के उपयोग को लेकर दोनों पक्षों को आपसी समझदारी से काम लेना चाहिए। पालतू जानवर रखने का मामला रेंट एग्रीमेंट की शर्तों पर निर्भर करता है। यदि एग्रीमेंट में इसकी मनाही नहीं है तो किरायेदार पालतू जानवर रख सकता है। मकान मालिक बाद में एकतरफा इस अधिकार को वापस नहीं ले सकता।

घर खाली कराने के नियम और प्रक्रिया

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मकान मालिक की धमकियों के बावजूद किरायेदार के अधिकार पूरी तरह सुरक्षित हैं। रेंट एग्रीमेंट में घर खाली करने के नियम स्पष्ट रूप से लिखे होते हैं और मकान मालिक इन नियमों के अलावा कुछ नहीं कर सकता। यदि मकान मालिक को घर खाली कराना है तो उसे एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार कम से कम एक महीने पहले लिखित नोटिस देना होगा। अचानक या बिना नोटिस के घर खाली कराने की मांग कानूनी तौर पर गलत है।

घर खाली करते समय किरायेदार को अपनी सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस मांगने का पूरा अधिकार है। मकान मालिक बिना उचित कारण के इस राशि को रोक नहीं सकता। यदि कोई वास्तविक नुकसान हुआ है तो उसका उचित आकलन करके बाकी राशि वापस करनी होगी। किरायेदार चाहे तो अपनी एडवांस राशि को अंतिम महीने के किराये में समायोजित कर सकता है। इन सभी बातों को एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए।

वारिसान के अधिकार और कानूनी सुरक्षा

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यदि किरायेदार की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार या कानूनी उत्तराधिकारी को उस घर में रहने का समान अधिकार प्राप्त होता है। मकान मालिक तत्काल घर खाली कराने की मांग नहीं कर सकता बल्कि उसे एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार ही काम करना होगा। यह व्यवस्था परिवार की सुरक्षा और स्थिरता के लिए बनाई गई है। उत्तराधिकारी को उचित समय मिलना चाहिए ताकि वे अपने लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर सकें।

यदि मकान मालिक किसी भी प्रकार की धमकी देता है या अनुचित व्यवहार करता है तो किरायेदार पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकता है। उपभोक्ता अदालत में भी मामला ले जाया जा सकता है। कई राज्यों में रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत विशेष अदालतें हैं जो किरायेदारी के मामलों को देखती हैं। किरायेदारों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता लेने से नहीं हिचकना चाहिए।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है और कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है। किरायेदारी के कानून राज्यों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। किसी भी कानूनी समस्या के लिए योग्य वकील से सलाह लें। स्थानीय कानूनों और नियमों की जानकारी के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें। लेखक या प्रकाशक किसी भी कानूनी परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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