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अब पैतृक संपत्ति पर इतने साल तक नहीं किया दावा तो आपके हाथ से निकल जाएगी जायदाद Ancestral Property

By Meera Sharma

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Ancestral Property

Ancestral Property: आज के समय में पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे को लेकर होने वाले विवाद एक आम समस्या बन गए हैं। इन विवादों में अक्सर यह प्रश्न उठता है कि ससुर की संपत्ति में दामाद यानी जीजा का क्या अधिकार होता है। यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में अधिकतर लोगों को स्पष्ट जानकारी नहीं होती और इसी कारण कई बार गलतफहमियां पैदा होती हैं। भारतीय कानून व्यवस्था में संपत्ति के अधिकारों को लेकर स्पष्ट नियम हैं जिन्हें समझना आवश्यक है।

संपत्ति संबंधी कानून अक्सर जटिल होते हैं और आम लोगों के लिए इन्हें समझना मुश्किल हो जाता है। विशेष रूप से जब रिश्ते-नाते की बात आती है तो भावनाएं कानूनी तथ्यों पर हावी हो जाती हैं। लेकिन यह जानना जरूरी है कि कानून केवल निर्धारित नियमों के अनुसार ही चलता है, न कि रिश्तों की आधार पर। इसलिए हर व्यक्ति को अपने अधिकारों और सीमाओं की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए।

भारतीय उत्तराधिकार कानून की मूल बातें

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भारत में संपत्ति के बंटवारे के लिए मुख्यतः हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 का प्रयोग होता है। यह कानून स्पष्ट रूप से बताता है कि कौन व्यक्ति किसी संपत्ति का कानूनी वारिस हो सकता है। इस अधिनियम के अनुसार संपत्ति का बंटवारा केवल उन लोगों के बीच होता है जो कानूनी रूप से वारिस माने जाते हैं। इनमें मुख्यतः बेटा, बेटी, पत्नी और माता-पिता शामिल होते हैं।

यह कानून दो प्रकार की संपत्ति के बीच अंतर करता है – पैतृक संपत्ति और स्वअर्जित संपत्ति। पैतृक संपत्ति वह होती है जो पीढ़ियों से चली आ रही है, जबकि स्वअर्जित संपत्ति वह होती है जिसे व्यक्ति ने अपनी मेहनत से कमाया है। दोनों प्रकार की संपत्ति के लिए अलग-अलग नियम लागू होते हैं। वसीयत की स्थिति में संपत्ति का वितरण वसीयत के अनुसार होता है, लेकिन बिना वसीयत के मामले में कानूनी नियम लागू होते हैं।

दामाद के कानूनी अधिकार की वास्तविकता

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भारतीय कानून के अनुसार ससुर की संपत्ति में दामाद का कोई सीधा या कानूनी अधिकार नहीं होता। यह एक स्पष्ट तथ्य है जिसे समझना आवश्यक है। दामाद को केवल इसलिए संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता कि वह परिवार का दामाद है। कानून केवल रक्त संबंधियों को वारिस मानता है, न कि वैवाहिक संबंधों से जुड़े लोगों को। इसका मतलब यह है कि ससुर अपनी संपत्ति अपने बेटे-बेटी को दे सकते हैं लेकिन दामाद का इस पर कोई अधिकार नहीं होता।

यह बात समझना जरूरी है कि दामाद अपनी पत्नी के परिवार का सदस्य जरूर बनता है लेकिन कानूनी वारिस नहीं बनता। वह केवल अपनी पत्नी के अधिकारों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से संपत्ति से जुड़ सकता है। लेकिन यह अधिकार भी वास्तव में उसकी पत्नी का होता है, उसका अपना नहीं। इस तथ्य को स्वीकार करना और समझना पारिवारिक शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

पैतृक संपत्ति में दामाद की स्थिति

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पैतृक संपत्ति के मामले में स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार पैतृक संपत्ति में बेटा और बेटी दोनों का समान अधिकार होता है। 2005 के संशोधन के बाद बेटी को भी बेटे के बराबर अधिकार दिया गया है। लेकिन इस पूरी व्यवस्था में दामाद के लिए कोई स्थान नहीं है।

पैतृक संपत्ति का मतलब यह है कि यह संपत्ति पीढ़ियों से परिवार में चली आ रही है और इसमें सभी वारिसों का जन्मसिद्ध अधिकार होता है। लेकिन यह अधिकार केवल कानूनी वारिसों को प्राप्त होता है। दामाद चूंकि कानूनी वारिस नहीं है इसलिए पैतृक संपत्ति में उसका कोई अधिकार नहीं होता। यह नियम बहुत स्पष्ट है और इसमें कोई अपवाद नहीं है।

स्वअर्जित संपत्ति में दामाद की भूमिका

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स्वअर्जित संपत्ति के मामले में संपत्ति के मालिक को पूर्ण स्वतंत्रता होती है। वह अपनी इच्छानुसार अपनी संपत्ति किसी को भी दे सकता है। यदि ससुर चाहें तो वे अपनी स्वअर्जित संपत्ति अपने दामाद को भी दे सकते हैं। लेकिन यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है, दामाद का इस पर कोई अधिकार नहीं होता।

यदि ससुर बिना वसीयत के मर जाते हैं तो उनकी स्वअर्जित संपत्ति कानूनी वारिसों में बंट जाती है। इसमें भी दामाद शामिल नहीं होता। केवल उनके बेटे, बेटी, पत्नी और अन्य कानूनी वारिस इस संपत्ति के हकदार होते हैं। इसलिए दामाद को यह समझना चाहिए कि स्वअर्जित संपत्ति में भी उसका कोई स्वचालित अधिकार नहीं है।

पत्नी के अधिकार के माध्यम से अप्रत्यक्ष प्रभाव

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हालांकि दामाद का ससुर की संपत्ति में कोई सीधा अधिकार नहीं होता, लेकिन वह अपनी पत्नी के अधिकारों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़ सकता है। यदि उसकी पत्नी को अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलता है तो वह संपत्ति उसकी पत्नी की होगी। पत्नी चाहे तो इस संपत्ति को अपने पति को दे सकती है या उसके साथ मिलकर इसका उपयोग कर सकती है।

लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि कानूनी रूप से यह संपत्ति केवल पत्नी की होती है, पति की नहीं। पत्नी अपनी इच्छानुसार इस संपत्ति का निपटान कर सकती है। यदि पति-पत्नी के बीच कोई विवाद हो जाता है तो पति इस संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता। यह संपत्ति पूर्णतः पत्नी के नियंत्रण में रहती है।

संपत्ति विवादों में दामाद की भूमिका

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व्यावहारिक जीवन में अक्सर देखा जाता है कि दामाद अपनी पत्नी के हक की लड़ाई में शामिल हो जाता है। यह उसका अधिकार है कि वह अपनी पत्नी का समर्थन करे। लेकिन यह समझना जरूरी है कि वह अपने नाम से कोई दावा नहीं कर सकता। सभी कानूनी कार्रवाई उसकी पत्नी के नाम से ही होनी होगी।

कई बार दामाद का हस्तक्षेप पारिवारिक रिश्तों को बिगाड़ देता है। ससुराल पक्ष को लगता है कि दामाद अनावश्यक दखलअंदाजी कर रहा है। इसलिए दामाद को सावधानी से काम लेना चाहिए और केवल अपनी पत्नी के अधिकारों की रक्षा के लिए ही आवाज उठानी चाहिए। उसे यह याद रखना चाहिए कि उसका अपना कोई सीधा अधिकार नहीं है।

कानूनी सलाह की महत्वता और सुझाव

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संपत्ति के मामले अक्सर जटिल होते हैं और इनमें कई कानूनी बारीकियां होती हैं। इसलिए किसी भी संपत्ति विवाद में कानूनी सलाह लेना आवश्यक है। दामाद को चाहिए कि वह अपनी स्थिति को स्पष्ट रूप से समझे और केवल उन अधिकारों के लिए लड़े जो वास्तव में उसकी पत्नी के हैं। अनावश्यक विवाद से बचना सभी के हित में होता है।

सबसे अच्छा तरीका यह है कि पारिवारिक मामलों को आपसी बातचीत से सुलझाया जाए। यदि बातचीत से समाधान नहीं निकलता तो मध्यस्थता का सहारा लिया जा सकता है। कोर्ट जाना अंतिम विकल्प होना चाहिए क्योंकि इससे पारिवारिक रिश्ते बिगड़ जाते हैं। दामाद को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि उसकी भूमिका एक सहायक की है, मुख्य दावेदार की नहीं। सही जानकारी और संयम के साथ अधिकतर संपत्ति विवादों का समाधान निकाला जा सकता है।

Disclaimer

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यह लेख सामान्य कानूनी जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे व्यक्तिगत कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। संपत्ति कानून जटिल विषय है और अलग-अलग परिस्थितियों में अलग नियम लागू हो सकते हैं। किसी भी संपत्ति संबंधी निर्णय लेने से पहले योग्य वकील से विस्तृत सलाह अवश्य लें। राज्य के अनुसार कानूनी प्रावधान भिन्न हो सकते हैं।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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