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CIBIL SCORE New Rule: Cibil Score रखना है ठीक तो जान लें RBI के ये 6 नियम

By Meera Sharma

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CIBIL SCORE New Rule

CIBIL SCORE New Rule: आज के समय में किसी भी प्रकार का लोन लेने के लिए सिबिल स्कोर सबसे महत्वपूर्ण कारक बन गया है। बैंक और वित्तीय संस्थाएं लोन देने से पहले सबसे पहले आपके सिबिल स्कोर की जांच करती हैं। एक अच्छा सिबिल स्कोर न केवल आपको आसानी से लोन दिलवाता है बल्कि बेहतर ब्याज दरों पर भी लोन मिलने में मदद करता है। इसी महत्व को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने सिबिल स्कोर से संबंधित नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।

ये नए नियम 1 जनवरी 2025 से लागू कर दिए गए हैं और इनका मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को अधिक पारदर्शिता और बेहतर सेवा प्रदान करना है। इन बदलावों से ग्राहकों को अपने क्रेडिट स्कोर की नियमित और सटीक जानकारी मिल सकेगी। RBI के इन नए नियमों से उम्मीद की जा रही है कि वित्तीय संस्थाएं अब अपने ग्राहकों को बेहतर और समयबद्ध सेवा प्रदान करेंगी। यह कदम भारतीय बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

वित्तीय समस्याओं के समाधान में नई उम्मीद

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एक अच्छा सिबिल स्कोर होना आपकी वित्तीय समस्याओं का समाधान करने में अत्यंत सहायक होता है। जब आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा होता है तो आपातकालीन स्थितियों में बैंक से लोन लेना काफी आसान हो जाता है। अच्छे सिबिल स्कोर वाले ग्राहकों को न केवल जल्दी लोन मिलता है बल्कि वे कम ब्याज दरों का भी फायदा उठा सकते हैं। RBI के नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब ग्राहकों को अपने क्रेडिट स्कोर की नियमित और सटीक जानकारी मिलती रहेगी।

इन नए नियमों से ग्राहकों को अपने वित्तीय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। जब ग्राहकों को नियमित रूप से अपने सिबिल स्कोर की अपडेट मिलती रहेगी तो वे समय पर अपनी गलतियों को सुधार सकेंगे। यह व्यवस्था ग्राहकों को अधिक जिम्मेदार बनाने में भी सहायक होगी। RBI का यह कदम वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और ग्राहकों के अधिकारों की सुरक्षा करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।

सिबिल स्कोर अपडेट की नई समयसीमा

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RBI के नए नियमों के अनुसार अब हर ग्राहक का सिबिल स्कोर हर 15 दिन में अपडेट किया जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है क्योंकि पहले यह प्रक्रिया काफी धीमी थी और ग्राहकों को अपने स्कोर की अपडेट जानकारी पाने में महीनों का समय लग जाता था। अब सभी बैंक और वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों के क्रेडिट स्कोर को नियमित रूप से अपडेट करना होगा। इसके साथ ही क्रेडिट संस्थानों को ग्राहकों की क्रेडिट जानकारी हर महीने क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी को देनी होगी।

यह नियम ग्राहकों के लिए अत्यंत फायदेमंद है क्योंकि अब वे अपने वित्तीय व्यवहार के प्रभाव को जल्दी देख सकेंगे। अगर कोई ग्राहक अपनी EMI समय पर भर रहा है या कोई गलती कर रहा है तो इसका प्रभाव उसके स्कोर पर जल्दी दिखेगा। यह व्यवस्था ग्राहकों को अपने वित्तीय व्यवहार में सुधार करने के लिए प्रेरित करेगी। तेज अपडेट की यह सुविधा ग्राहकों को अपने क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाने में तेजी से मदद करेगी।

क्रेडिट रिपोर्ट जांच की सूचना व्यवस्था

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RBI के नए नियमों में एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि जब भी कोई कंपनी किसी ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करेगी तो उसे इसकी जानकारी ग्राहक को SMS या ईमेल के माध्यम से देनी होगी। यह प्रावधान ग्राहकों के अधिकारों की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बनाया गया है। इससे ग्राहक यह जान सकेंगे कि कौन सी कंपनी उनकी क्रेडिट रिपोर्ट देख रही है और कब देख रही है। यह सुविधा अनाधिकृत जांच को रोकने में भी सहायक होगी।

इस नियम से ग्राहकों को अपनी क्रेडिट जानकारी पर बेहतर नियंत्रण मिलेगा। अगर कोई कंपनी बिना अनुमति के क्रेडिट रिपोर्ट देखती है तो ग्राहक तुरंत इसकी शिकायत कर सकेगा। यह व्यवस्था धोखाधड़ी को रोकने और ग्राहकों की निजता की सुरक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। SMS और ईमेल के माध्यम से मिलने वाली यह जानकारी ग्राहकों को अधिक सचेत और जागरूक बनाएगी।

लोन रिजेक्शन की पारदर्शी व्यवस्था

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नए नियमों के अनुसार जब भी किसी कंपनी द्वारा ग्राहक की लोन या क्रेडिट कार्ड की आवेदन को अस्वीकार किया जाता है तो कंपनी को इसके स्पष्ट कारण ग्राहक को बताने होंगे। पहले ग्राहकों को केवल यह पता चलता था कि उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया है लेकिन कारण नहीं पता चलता था। अब कंपनियों को अस्वीकृति के कारणों की एक विस्तृत सूची तैयार करनी होगी और इसे क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों को भेजना होगा।

यह प्रावधान ग्राहकों के लिए अत्यंत उपयोगी है क्योंकि अब वे जान सकेंगे कि उनके आवेदन अस्वीकार होने के पीछे क्या कारण हैं। इस जानकारी के आधार पर ग्राहक अपनी कमियों को दूर कर सकेंगे और भविष्य में बेहतर आवेदन कर सकेंगे। यह व्यवस्था ग्राहकों को अपने वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगी। पारदर्शी कारण बताने की यह व्यवस्था बैंकिंग सेक्टर में ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में सुधार लाएगी।

वार्षिक क्रेडिट रिपोर्ट की निःशुल्क उपलब्धता

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RBI के नए नियमों के अनुसार अब सभी कंपनियों को साल में एक बार अपने ग्राहकों को पूरी क्रेडिट रिपोर्ट निःशुल्क उपलब्ध करानी होगी। इसके लिए कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर एक विशेष लिंक शेयर करना होगा जिसके माध्यम से ग्राहक आसानी से अपनी संपूर्ण क्रेडिट रिपोर्ट डाउनलोड कर सकेंगे। यह सुविधा ग्राहकों को अपनी वित्तीय स्थिति की पूरी तस्वीर देखने में मदद करेगी। पहले ग्राहकों को अपनी क्रेडिट रिपोर्ट के लिए पैसे देने पड़ते थे या फिर सीमित जानकारी मिलती थी।

इस निःशुल्क सेवा से ग्राहकों को अपने क्रेडिट इतिहास की विस्तृत जानकारी मिल सकेगी। वे देख सकेंगे कि किन-किन बैंकों से उन्होंने लोन लिया है, कितनी राशि बकाया है, और उनका भुगतान इतिहास कैसा है। यह जानकारी ग्राहकों को अपने वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करने और बेहतर वित्तीय योजना बनाने में सहायक होगी। वार्षिक क्रेडिट रिपोर्ट की यह सुविधा वित्तीय साक्षरता बढ़ाने में भी योगदान देगी।

डिफॉल्ट की पूर्व चेतावनी व्यवस्था

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RBI के नए नियमों में एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह भी है कि अगर कोई ग्राहक लोन का डिफॉल्ट करने वाला है तो कंपनियों को उसे पहले से ही इसकी चेतावनी देनी होगी। यह व्यवस्था ग्राहकों को अपने क्रेडिट स्कोर खराब होने से बचाने में मदद करेगी। पहले ग्राहकों को तब पता चलता था जब उनका नाम डिफॉल्टर की सूची में आ जाता था। अब कंपनियों को डिफॉल्ट रिपोर्ट करने से पहले ग्राहक को सूचित करना होगा ताकि वह अपनी समस्या का समाधान कर सके।

यह पूर्व चेतावनी व्यवस्था ग्राहकों को अपनी EMI या क्रेडिट कार्ड का भुगतान समय पर करने के लिए प्रेरित करेगी। अगर किसी ग्राहक के पास अस्थायी वित्तीय समस्या है तो वह बैंक से संपर्क करके समाधान निकाल सकेगा। यह नियम ग्राहकों के क्रेडिट स्कोर की सुरक्षा करने और उन्हें दूसरा मौका देने के लिए बनाया गया है। इससे अनावश्यक डिफॉल्ट के मामले कम होंगे और ग्राहकों का वित्तीय भविष्य बेहतर होगा।

शिकायत निवारण और जुर्माना व्यवस्था

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RBI के नए नियमों में शिकायत निवारण के लिए भी सख्त समयसीमा तय की गई है। अब हर कंपनी को अपने ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा 30 दिन के अंदर करना होगा। अगर कंपनियां इस समयसीमा का पालन नहीं करती हैं तो उन्हें हर दिन के लिए 100 रुपये का जुर्माना भरना होगा। इस व्यवस्था में लोन देने वाली संस्था को 21 दिन और क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का समय दिया गया है। यह जुर्माना व्यवस्था कंपनियों को अधिक जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित करेगी।

यह नया नियम ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार लाएगा। पहले ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा महीनों तक लटकता रहता था लेकिन अब कंपनियों को तय समय में जवाब देना होगा। जुर्माने का डर कंपनियों को अधिक तेजी से काम करने के लिए प्रेरित करेगा। यह व्यवस्था ग्राहकों के अधिकारों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और उन्हें न्याय दिलाने में मदद करेगी।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और यह किसी भी प्रकार की वित्तीय सलाह नहीं है। सिबिल स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट से संबंधित नवीनतम जानकारी के लिए कृपया RBI की आधिकारिक वेबसाइट और संबंधित वित्तीय संस्थानों से संपर्क करें। नियमों में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं, इसलिए किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले नवीनतम जानकारी की पुष्टि करना आवश्यक है।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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