CIBIL Score new rule: भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में सिबिल स्कोर से संबंधित 6 महत्वपूर्ण नए नियम लागू किए हैं जो बैंक ग्राहकों के लिए एक बड़ी राहत साबित होंगे। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य सिबिल स्कोर की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और ग्राहकों के हितों की बेहतर सुरक्षा करना है। आरबीआई को लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि कई बार बैंकों और क्रेडिट संस्थानों की चूक के कारण भी ग्राहकों का सिबिल स्कोर खराब हो जाता था। इन नई व्यवस्थाओं से अब ग्राहकों को अपने क्रेडिट स्कोर की सही और समय पर जानकारी मिल सकेगी।
सिबिल स्कोर एक महत्वपूर्ण वित्तीय उपकरण है जो किसी व्यक्ति की लोन चुकाने की क्षमता को दर्शाता है। अच्छे सिबिल स्कोर के साथ व्यक्ति को कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता है, जबकि खराब स्कोर के कारण लोन मिलना मुश्किल हो जाता है। इसलिए इन नए नियमों का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि ये ग्राहकों को अधिक सुरक्षा और पारदर्शिता प्रदान करते हैं।
तेज़ी से अपडेट होगा सिबिल स्कोर
आरबीआई के नए नियमों के अनुसार अब सिबिल स्कोर महीने में दो बार अपडेट किया जाएगा। पहले यह प्रक्रिया काफी धीमी थी और ग्राहकों को अपने स्कोर की सही स्थिति जानने में काफी समय लगता था। अब हर 15 दिन में स्कोर अपडेट होने से बैंक और ग्राहक दोनों को फायदा होगा। इससे बैंक किसी को लोन देने का सही निर्णय समय पर ले सकेंगे और ग्राहक भी अपनी वित्तीय योजना बेहतर तरीके से बना सकेंगे।
यह नियम सभी बैंकों, एनबीएफसी और क्रेडिट संस्थानों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। तेज़ अपडेट की वजह से अगर किसी ग्राहक ने अपनी ईएमआई समय पर भरी है तो इसका सकारात्मक प्रभाव जल्दी उसके स्कोर में दिखेगा। इससे ग्राहकों को अपने वित्तीय व्यवहार में सुधार करने की प्रेरणा भी मिलेगी।
सिबिल स्कोर चेक करने की मिलेगी सूचना
नए नियमों के तहत अब जब भी कोई बैंक या वित्तीय संस्थान किसी ग्राहक का सिबिल स्कोर चेक करेगा तो उसे इसकी जानकारी ग्राहक को देनी होगी। यह सूचना एसएमएस या ईमेल के माध्यम से भेजी जाएगी। पहले कई बार ग्राहकों को पता ही नहीं चलता था कि उनका स्कोर कब और किसने चेक किया है। अब इस पारदर्शिता से ग्राहक अपनी क्रेडिट जानकारी पर बेहतर नियंत्रण रख सकेंगे।
इस व्यवस्था से ग्राहकों को यह भी पता चल जाएगा कि कौन सी कंपनी या बैंक उनकी क्रेडिट जानकारी देख रहा है। यह धोखाधड़ी की संभावनाओं को कम करने में भी मदद करेगा। क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों को भी इस नियम का सख्ती से पालन करना होगा।
पारदर्शी प्रक्रिया और कारण स्पष्टीकरण
आरबीआई ने साफ निर्देश दिए हैं कि अब कोई भी बैंक या वित्तीय संस्थान किसी ग्राहक की लोन या क्रेडिट कार्ड की आवेदन को बिना कारण बताए रिजेक्ट नहीं कर सकता। ग्राहक को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि उसका आवेदन क्यों खारिज किया गया है। इससे ग्राहकों को अपनी कमियों को समझने और सुधारने का मौका मिलेगा।
बैंकों को इन सभी रिजेक्शन के कारणों की एक सूची तैयार करनी होगी और इसे सभी क्रेडिट संस्थानों के साथ साझा करना होगा। यह व्यवस्था ग्राहकों के साथ निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए की गई है। अब ग्राहक जान सकेंगे कि उन्हें अपने स्कोर में किन पहलुओं पर काम करने की जरूरत है।
मुफ्त वार्षिक क्रेडिट रिपोर्ट की सुविधा
नए नियमों के अनुसार अब सभी क्रेडिट कंपनियां अपने ग्राहकों को साल में एक बार मुफ्त में पूरी क्रेडिट रिपोर्ट उपलब्ध कराएंगी। कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर इसके लिए विशेष लिंक प्रदर्शित करना होगा। इससे ग्राहक अपना सिबिल स्कोर और पूरी क्रेडिट हिस्ट्री आसानी से चेक कर सकेंगे।
यह सुविधा ग्राहकों को अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर समझने में मदद करेगी। पहले इसके लिए ग्राहकों को पैसे देने पड़ते थे या फिर सीमित जानकारी ही मिलती थी। अब वे अपनी पूरी क्रेडिट हिस्ट्री का विस्तृत विश्लेषण कर सकेंगे और अपनी वित्तीय योजना बेहतर बना सकेंगे।
डिफॉल्ट रिपोर्ट की पूर्व सूचना
अब अगर किसी ग्राहक को डिफॉल्टर घोषित करना है तो बैंक को पहले उसे इसकी सूचना देनी होगी। यह जानकारी एसएमएस या ईमेल के माध्यम से भेजी जाएगी। इससे ग्राहक को अपनी स्थिति सुधारने का मौका मिलेगा। आरबीआई ने सभी लोन देने वाले बैंकों और एनबीएफसी को नोडल अफसर रखने के लिए भी कहा है।
ये नोडल अफसर क्रेडिट स्कोर की समस्याओं की निगरानी करेंगे और ग्राहकों की शिकायतों का निपटान करेंगे। यह व्यवस्था ग्राहकों को बेहतर सेवा उपलब्ध कराने के लिए की गई है। अब ग्राहकों के पास एक निर्धारित व्यक्ति होगा जिससे वे अपनी समस्याओं के बारे में बात कर सकेंगे।
30 दिन में समस्या समाधान की गारंटी
आरबीआई के नए नियमों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब सिबिल स्कोर से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान 30 दिन के अंदर हो जाएगा। क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी को बैंक से सूचना मिलने के 9 दिन के अंदर कार्रवाई करनी होगी। वहीं बैंक को ग्राहक की शिकायत मिलने के 21 दिन के अंदर समस्या को हल करना होगा।
अगर कोई भी संस्थान इन समय सीमाओं का पालन नहीं करती तो उसे प्रति दिन 100 रुपये का जुर्माना देना होगा। यह व्यवस्था ग्राहकों को तुरंत न्याय दिलाने के लिए बनाई गई है। अब ग्राहकों को सालों तक अपनी समस्याओं के समाधान का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
Disclaimer
इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और यह वित्तीय सलाह नहीं है। आरबीआई के नियमों में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं। किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले संबंधित बैंक या वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना उचित होगा। लेखक या प्रकाशक इस जानकारी की सटीकता की पूर्ण गारंटी नहीं देते हैं।