CIBIL Score: आज के समय में लोन लेना एक आम बात हो गई है। घर खरीदने से लेकर व्यापार शुरू करने तक, हर काम के लिए लोग बैंक का दरवाजा खटखटाते हैं। लेकिन जब आप बैंक में लोन के लिए आवेदन करते हैं तो सबसे पहले आपसे सिबिल स्कोर के बारे में पूछा जाता है। यह स्कोर ही तय करता है कि आपको लोन मिलेगा या नहीं और मिलेगा तो कितनी ब्याज दर पर। अगर आप भी सस्ते लोन की तलाश में हैं तो सिबिल स्कोर की जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।
सिबिल स्कोर वास्तव में आपकी वित्तीय विश्वसनीयता का प्रमाण पत्र है। यह आपके पिछले कर्ज के भुगतान के इतिहास को दर्शाता है। बैंक इस स्कोर को देखकर ही निर्णय लेते हैं कि आप भविष्य में भी अपनी EMI समय पर भर पाएंगे या नहीं। एक अच्छा सिबिल स्कोर न केवल आपको आसानी से लोन दिलवाता है बल्कि ब्याज दरों में छूट भी दिलवा सकता है।
सिबिल स्कोर की महत्वता क्यों है इतनी
सिबिल स्कोर आपकी पूरी क्रेडिट हिस्ट्री को दर्शाता है। जब भी आप लोन के लिए आवेदन करते हैं तो बैंक सबसे पहले आपका यही स्कोर देखता है। इसमें आपके सभी मौजूदा लोन, क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान का पूरा ब्यौरा होता है। यह स्कोर 300 से 900 के बीच होता है और 700 या इससे अधिक स्कोर को बैंक अच्छा मानते हैं।
एक अच्छे सिबिल स्कोर से आपकी लोन एप्लिकेशन जल्दी अप्रूव होती है। बैंक को भरोसा हो जाता है कि आप एक जिम्मेदार उधारकर्ता हैं। इससे न केवल लोन प्रोसेसिंग में तेजी आती है बल्कि आपको कम ब्याज दर पर भी लोन मिल सकता है। कई बार टॉप स्कोर वाले ग्राहकों को लोन की ब्याज दर में 0.15 से 0.25 प्रतिशत तक की छूट भी मिल जाती है।
क्रेडिट स्कोर के विभिन्न स्तर
सिबिल स्कोर को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है। 800 से 850 के बीच का स्कोर बहुत ही बेहतरीन माना जाता है। 740 से 799 के बीच का स्कोर बहुत अच्छा होता है। 670 से 739 तक का स्कोर अच्छी श्रेणी में आता है। 580 से 699 का स्कोर ठीक-ठाक माना जाता है जबकि 300 से 579 तक का स्कोर बहुत खराब माना जाता है।
अगर आपका स्कोर 750 से अधिक है तो आपको लगभग सभी बैंकों से आसानी से लोन मिल जाएगा। 700 से 750 के बीच का स्कोर भी अच्छा माना जाता है लेकिन कुछ बैंक अधिक जांच-परख कर सकते हैं। 650 से कम स्कोर होने पर लोन मिलना मुश्किल हो जाता है और मिलता भी है तो काफी ऊंची ब्याज दर पर।
सिबिल स्कोर कैसे होता है खराब
सिबिल स्कोर खराब होने के कई कारण हैं। सबसे मुख्य कारण है EMI या क्रेडिट कार्ड के बिल का समय पर भुगतान न करना। अगर आप अपनी क्रेडिट लिमिट से ज्यादा खर्च करते हैं तो भी स्कोर गिरता है। लोन डिफॉल्ट करना या लोन सेटलमेंट करना भी स्कोर को बुरी तरह प्रभावित करता है।
किसी के लिए गारंटर बनना भी जोखिम भरा हो सकता है। अगर वह व्यक्ति अपनी EMI नहीं भरता तो आपका स्कोर भी गिर सकता है। कई लोगों का स्कोर इसीलिए खराब हो जाता है क्योंकि उन्होंने किसी की गारंटी दी थी। इसके अलावा बार-बार लोन के लिए आवेदन करना भी स्कोर को नुकसान पहुंचाता है।
कम सिबिल स्कोर के नुकसान
अगर आपका सिबिल स्कोर कम है तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोन मिलना मुश्किल हो जाता है। अगर मिलता भी है तो काफी ऊंची ब्याज दर पर मिलता है। कम स्कोर के कारण आपको कम रकम का लोन भी मिल सकता है।
पर्सनल लोन और बिजनेस लोन के मामले में तो स्थिति और भी खराब हो जाती है। इन लोन्स के लिए बैंक सिबिल स्कोर को बहुत महत्व देते हैं। कम स्कोर के कारण कई बार आपको सिक्यूरिटी भी देनी पड़ सकती है। क्रेडिट कार्ड मिलना भी मुश्किल हो जाता है और मिलता भी है तो कम लिमिट के साथ।
खराब सिबिल स्कोर को कैसे सुधारें
खराब सिबिल स्कोर को सुधारना मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव नहीं। सबसे पहले अपनी सभी EMI और क्रेडिट कार्ड के बिल का समय पर भुगतान करना शुरू करें। जरूरत से ज्यादा और बड़ा लोन लेने से बचें। अपनी क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो को 30 प्रतिशत से कम रखें।
अपने पुराने क्रेडिट कार्ड को बंद न करें क्योंकि इससे आपकी क्रेडिट हिस्ट्री बनी रहती है। क्रेडिट कार्ड पर लोन लेने से बचें क्योंकि इसकी ब्याज दर बहुत ज्यादा होती है। अपनी एलिजिबिलिटी देखने के बाद ही लोन के लिए आवेदन करें। समय-समय पर अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते रहें।
सस्ते लोन के लिए अन्य टिप्स
अच्छा सिबिल स्कोर के अलावा भी कुछ बातों का ध्यान रखकर आप सस्ता लोन पा सकते हैं। लोन-टू-वैल्यू रेश्यो कम रखें यानी प्रॉपर्टी में अपना योगदान ज्यादा रखें। ज्वाइंट होम लोन का विकल्प भी अच्छा है क्योंकि इससे दो लोगों की इनकम जुड़ जाती है। ज्वाइंट लोन में इनकम टैक्स का फायदा भी मिलता है।
फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो का भी ध्यान रखें। बैंक यह देखते हैं कि आपकी आय में से कितना हिस्सा EMI भरने में जाता है। अगर यह आपकी सैलरी का 50 प्रतिशत से ज्यादा है तो लोन रिजेक्ट हो सकता है। इसलिए EMI को अपनी आय के 30 से 40 प्रतिशत तक सीमित रखें।
सस्ते होम लोन के लिए सुझाव
होम लोन लेते समय हमेशा लोन की शर्तों को ध्यान से पढ़ें। प्रमोशनल ऑफर को अच्छे से समझें क्योंकि कई बार इनमें छुपी हुई शर्तें होती हैं। अपनी आर्थिक स्थिति का सही आकलन करें और केवल उतना ही लोन लें जितना आप आसानी से चुका सकें। विभिन्न बैंकों की ऑनलाइन तुलना जरूर करें।
प्रोसेसिंग फीस और अन्य छुपे हुए चार्जेज के बारे में पहले से पूछताछ कर लें। कई बार कम ब्याज दर के चक्कर में लोग ज्यादा प्रोसेसिंग फीस वाले लोन ले लेते हैं जो अंततः महंगा पड़ता है।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। लोन लेने से पहले किसी वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना आवश्यक है। ब्याज दरें और नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए संबंधित बैंक से संपर्क करें।