CIBIL Score: आज के समय में जब हर काम के लिए लोन की जरूरत पड़ती है, तब सिबिल स्कोर आपकी वित्तीय पहचान का सबसे अहम हिस्सा बन गया है। घर की खरीदारी हो या बच्चों की पढ़ाई का खर्च, शादी-विवाह का समारोह हो या कोई व्यापारिक जरूरत, हर मौके पर बैंक से कर्ज लेना पड़ता है। ऐसे में आपका सिबिल स्कोर ही तय करता है कि आपको कितनी जल्दी और कितनी आसानी से लोन मिलेगा। यह एक तरह का वित्तीय रिपोर्ट कार्ड है जो आपकी पुरानी कर्ज अदायगी की कहानी बयान करता है। बैंक वाले इसी स्कोर को देखकर फैसला करते हैं कि आप भरोसेमंद हैं या नहीं।
सिबिल स्कोर की गिनती और उसका मतलब
सिबिल स्कोर एक तीन अंकों की संख्या होती है जो 300 से शुरू होकर 900 तक जाती है। यह आंकड़ा आपकी कर्ज चुकाने की क्षमता और आदतों को दर्शाता है। जब आप किसी भी तरह का कर्ज लेते हैं या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तो उसकी जानकारी क्रेडिट ब्यूरो तक पहुंच जाती है। वहां पर आपके सभी वित्तीय लेन-देन का हिसाब रखा जाता है और एक गणितीय फार्मूले के जरिए आपका स्कोर तैयार किया जाता है। यह स्कोर हर महीने अपडेट होता रहता है और आपकी नई गतिविधियों के आधार पर बढ़ता-घटता रहता है।
700 से ऊपर का स्कोर – सुनहरा मौका
अगर आपका सिबिल स्कोर 700 से ऊपर है तो समझ लीजिए कि आप बैंकों की नजर में एक आदर्श ग्राहक हैं। इस स्कोर वाले लोगों को न केवल तुरंत लोन मिल जाता है बल्कि उन्हें कम ब्याज दर पर भी कर्ज मिलता है। बैंक मैनेजर भी इस तरह के ग्राहकों को अपने यहां लोन लेने के लिए प्रेरित करते हैं। 750 से ऊपर का स्कोर तो सोने पर सुहागा माना जाता है। ऐसे लोगों को बिना किसी परेशानी के होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिल जाती है। यहां तक कि कई बैंक खुद ही इन्हें प्री-अप्रूव्ड लोन ऑफर करते हैं।
खराब स्कोर की वजह से होने वाली परेशानियां
जब आपका सिबिल स्कोर 600 से कम होता है तो आपको लोन मिलने में गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बैंक वाले आपके आवेदन को सीधे रिजेक्ट कर देते हैं या फिर बहुत ज्यादा ब्याज दर मांगते हैं। कई बार तो गारंटर या अतिरिक्त सिक्योरिटी की भी मांग की जाती है। खराब स्कोर का मतलब है कि अतीत में आपने कर्ज चुकाने में देरी की है या फिर बिल्कुल ही भुगतान नहीं किया है। ऐसी स्थिति में आपकी वित्तीय साख पर सवाल खड़े हो जाते हैं और बैंक आप पर भरोसा करने से हिचकिचाते हैं।
समय पर भुगतान – सिबिल सुधार का पहला कदम
अपने सिबिल स्कोर को बेहतर बनाने का सबसे कारगर तरीका है सभी तरह के कर्ज का समय पर भुगतान करना। चाहे वह आपकी होम लोन की ईएमआई हो, कार लोन की किस्त हो या फिर क्रेडिट कार्ड का बिल – सभी का भुगतान निर्धारित तारीख से पहले कर देना चाहिए। एक भी पेमेंट में देरी आपके स्कोर को गिरा सकती है और इसे वापस बढ़ाने में महीनों लग सकते हैं। अगर आप भूलने की आदत रखते हैं तो ऑटो-डेबिट की सुविधा का इस्तेमाल करें। इससे आपका पैसा अपने आप कट जाएगा और आप लेट पेमेंट के चक्कर से बच जाएंगे।
क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में बरतें सावधानी
क्रेडिट कार्ड आज के जमाने में जरूरत बन गया है लेकिन इसका गलत इस्तेमाल आपके सिबिल स्कोर को बर्बाद कर सकता है। सबसे जरूरी बात यह है कि आप अपनी कुल क्रेडिट लिमिट का केवल 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा ही इस्तेमाल करें। पूरी लिमिट का इस्तेमाल करने से बैंकों को लगता है कि आप वित्तीय संकट में हैं। हमेशा मिनिमम ड्यू अमाउंट की बजाय पूरे बिल का भुगतान करने की कोशिश करें। कैश एडवांस लेने से बचें क्योंकि इससे आपके स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक से ज्यादा क्रेडिट कार्ड रखने से भी परहेज करें।
एक साथ कई कर्ज लेने के गंभीर नुकसान
अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत रखने के लिए एक साथ कई तरह के लोन लेने से बचना चाहिए। जब आप एकसाथ होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन लेते हैं तो आपकी मासिक आय का बड़ा हिस्सा ईएमआई में चला जाता है। इससे आपका डेट-टू-इनकम रेशियो बिगड़ जाता है और किसी भी वित्तीय आपातकाल में आप मुश्किल में फंस सकते हैं। बैंक भी इसे नकारात्मक संकेत के रूप में देखते हैं और आपके सिबिल स्कोर को प्रभावित करते हैं। हमेशा एक लोन पूरा चुकाने के बाद ही दूसरा लोन लेने का विचार करें।
जरूरत के हिसाब से लें कर्ज
लोन लेते समय हमेशा अपनी वास्तविक जरूरत और चुकाने की क्षमता का सही आकलन करना जरूरी है। कई लोग अपनी आवश्यकता से ज्यादा लोन लेते हैं और फिर ईएमआई का बोझ उनके लिए परेशानी बन जाता है। आपकी मासिक आय का अधिकतम 40 प्रतिशत हिस्सा ही सभी तरह की ईएमआई में जाना चाहिए। इससे ज्यादा कर्ज लेना खतरनाक हो सकता है। लोन लेने से पहले अपना बजट बनाएं और विभिन्न बैंकों की ब्याज दरों की तुलना जरूर करें। अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की नियमित जांच करते रहें और कोई भी गलती दिखे तो तुरंत सुधार कराएं।
Disclaimer
यह लेख केवल जानकारी और शिक्षा के उद्देश्य से लिखा गया है। सिबिल स्कोर और वित्तीय विषयों में व्यक्तिगत परिस्थितियां अलग-अलग हो सकती हैं। कोई भी वित्तीय फैसला लेने से पहले किसी योग्य वित्तीय सलाहकार या बैंक अधिकारी से सलाह जरूर लें। लेखक या प्रकाशन संस्था इस जानकारी के आधार पर लिए गए किसी भी निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं है।