DA Hike July: केंद्र सरकार ने हाल ही में देश भर के लगभग 1.2 करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में केवल 2 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की है। इस बढ़ोतरी के साथ महंगाई भत्ता 53 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है। यह वृद्धि पिछले 78 महीनों में सबसे कम है जो कर्मचारियों के लिए निराशाजनक साबित हुई है। सामान्यतः महंगाई भत्ते में 3 से 4 प्रतिशत की वृद्धि होती रही है लेकिन इस बार की कम वृद्धि ने कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
इस घोषणा के बाद कई राज्य सरकारों ने भी अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि की है। हालांकि यह वृद्धि कर्मचारियों की अपेक्षाओं से काफी कम रही है और उन्होंने अगली समीक्षा में बेहतर वृद्धि की उम्मीद जताई है।
आर्थिक संकेतकों से मिल रहे चेतावनी के संकेत
2025 के पहले तीन महीनों के आर्थिक आंकड़े केंद्रीय कर्मचारियों के लिए चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं। महंगाई दर में आई गिरावट से यह संकेत मिल रहे हैं कि जुलाई 2025 में होने वाली अगली समीक्षा में महंगाई भत्ते की वृद्धि 2 प्रतिशत से भी कम हो सकती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है कि महंगाई भत्ते में कोई वृद्धि ही न हो। यह स्थिति उन लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए बेहद निराशाजनक होगी जो बढ़ती जीवन यापन की लागत से जूझ रहे हैं।
औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े इस चिंता को और बढ़ाते हैं। जनवरी 2025 में यह सूचकांक 143.2 था जो फरवरी में गिरकर 142.8 हो गया। हालांकि मार्च में इसमें सुधार हुआ और यह 143.0 तक पहुंच गया।
सातवें वेतन आयोग का अंतिम महंगाई भत्ता संशोधन
जुलाई से दिसंबर 2025 की अवधि के लिए होने वाला महंगाई भत्ता संशोधन सातवें वेतन आयोग के तहत अंतिम संशोधन होगा। सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है और इसके बाद आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होंगी। इस विशेष परिस्थिति के कारण कर्मचारियों की उम्मीदें काफी बढ़ी हुई थीं कि सरकार अंतिम संशोधन में उदारता दिखाएगी। हालांकि वर्तमान आर्थिक संकेतक इन उम्मीदों के विपरीत दिशा में इशारा कर रहे हैं।
कर्मचारी संगठनों का मानना है कि सातवें वेतन आयोग के अंतिम चरण में सरकार को कर्मचारियों के हितों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। उनका तर्क है कि पिछले कुछ वर्षों में महंगाई दर की तुलना में महंगाई भत्ते की वृद्धि अपर्याप्त रही है।
महंगाई दर में आई गिरावट का प्रभाव
मार्च 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई दर 3.34 प्रतिशत पर पहुंच गई जो पिछले पांच वर्षों का सबसे निचला स्तर है। फरवरी में यह दर 3.61 प्रतिशत थी जिसमें 0.27 प्रतिशत की कमी आई है। यह गिरावट एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है लेकिन दूसरी तरफ केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। महंगाई भत्ते की गणना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर होती है और जब यह सूचकांक गिरता है तो महंगाई भत्ते की वृद्धि भी कम हो जाती है।
यह स्थिति कर्मचारियों के लिए दुविधाजनक है क्योंकि एक तरफ वे देश की बेहतर आर्थिक स्थिति चाहते हैं लेकिन दूसरी तरफ इससे उनके व्यक्तिगत वेतन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
आगामी महीनों के आंकड़ों का महत्व
जुलाई 2025 में महंगाई भत्ते की दर निर्धारित करने के लिए जनवरी से जून 2025 तक के छह महीनों के औसत आंकड़ों का उपयोग किया जाएगा। अभी तक केवल जनवरी, फरवरी और मार्च के आंकड़े उपलब्ध हैं। अप्रैल, मई और जून के आंकड़े अभी भी आने बाकी हैं जो अंतिम निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यदि आने वाले महीनों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि होती है तो 3 प्रतिशत तक की महंगाई भत्ता वृद्धि की संभावना है।
हालांकि यदि वर्तमान रुझान जारी रहता है और सूचकांक में गिरावट आती रहती है तो महंगाई भत्ते में 2 प्रतिशत से भी कम वृद्धि हो सकती है। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि चरम स्थिति में कोई वृद्धि नहीं भी हो सकती है।
कर्मचारियों की बढ़ती चिंताएं
वर्तमान स्थिति को देखते हुए केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी काफी चिंतित हैं। उनका कहना है कि महंगाई भत्ते की कम वृद्धि से उनकी वास्तविक आय में कमी आती है क्योंकि दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। भले ही सरकारी आंकड़े कम महंगाई दर दिखाते हों लेकिन वास्तविक जीवन में खर्च लगातार बढ़ रहा है। कर्मचारी संगठन सरकार से मांग कर रहे हैं कि महंगाई भत्ते की गणना पद्धति में सुधार किया जाए ताकि वास्तविक जीवन यापन की लागत का सही आकलन हो सके।
कई कर्मचारी संगठनों ने सरकार को ज्ञापन सौंपकर न्यूनतम 3 प्रतिशत महंगाई भत्ता वृद्धि की मांग की है। उनका तर्क है कि सातवें वेतन आयोग के अंतिम चरण में सरकार को उदारता दिखानी चाहिए।
भविष्य की संभावनाएं और रणनीति
अगले तीन महीनों के आर्थिक आंकड़े महंगाई भत्ते की दर तय करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। यदि आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि होती है तो कर्मचारियों को बेहतर महंगाई भत्ता मिल सकता है। सरकार भी इस बात से अवगत है कि कर्मचारियों का मनोबल बनाए रखना आवश्यक है। आठवें वेतन आयोग के आने से पहले सरकार शायद कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखते हुए कुछ सकारात्मक कदम उठाए।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि कर्मचारियों को धैर्य रखना चाहिए और आने वाले महीनों के आंकड़ों का इंतजार करना चाहिए। हो सकता है कि अंतिम गणना में स्थिति अपेक्षा से बेहतर निकले।
Disclaimer
यह लेख उपलब्ध आर्थिक आंकड़ों और सरकारी नीतियों के आधार पर तैयार किया गया है। महंगाई भत्ते की वास्तविक दर आर्थिक संकेतकों के आधार पर तय होती है जो समय के साथ बदलते रहते हैं। अंतिम निर्णय केंद्र सरकार द्वारा आधिकारिक घोषणा के बाद ही स्पष्ट होगा। कर्मचारियों को आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करनी चाहिए।