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सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बेसिक सैलरी में मर्ज होगा या नहीं, जानिये लेटेस्ट अपडेट Dearness Allowance

By Meera Sharma

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Dearness Allowance

Dearness Allowance: केंद्रीय सरकार के लाखों कर्मचारियों के बीच पिछले कई महीनों से एक अहम मुद्दा चर्चा में है कि क्या उनका महंगाई भत्ता यानी डीए को बेसिक सैलरी में मिला दिया जाएगा। यह चर्चा इसलिए तेज हुई है क्योंकि वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों को 55 प्रतिशत डीए मिल रहा है जो एक काफी बड़ी मात्रा है। कर्मचारी संगठनों की ओर से लगातार यह मांग उठाई जा रही है कि जैसे ही डीए 50 प्रतिशत से ऊपर पहुंचे, इसे बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया जाना चाहिए।

इस मुद्दे पर कर्मचारियों के बीच दो अलग-अलग राय सामने आ रही हैं। एक तबका मानता है कि 8वें वेतन आयोग के लागू होने से पहले ही डीए को बेसिक सैलरी में मिला दिया जाएगा। वहीं दूसरा तबका यह सोचता है कि यह काम 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद ही होगा। लेकिन अब सरकार की ओर से इस मुद्दे पर एक स्पष्ट बयान आ गया है जो सभी अटकलों पर विराम लगाता है।

वर्तमान में डीए की स्थिति और भविष्य की संभावनाएं

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इस साल जनवरी और जून की छमाही के लिए सरकार ने डीए में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है। इसके बाद केंद्रीय कर्मचारियों को वर्तमान में 55 प्रतिशत डीए मिल रहा है। अगली डीए की बढ़ोतरी जुलाई से दिसंबर 2025 तक की अवधि के लिए होनी है। महंगाई की दर को देखते हुए यह संभावना है कि आने वाले समय में डीए और भी बढ़ सकता है।

कई विशेषज्ञों का मानना है कि 1 जनवरी 2026 से 8वां वेतन आयोग लागू हो सकता है। इसे देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार 8वें वेतन आयोग से पहले ही 50 प्रतिशत से अधिक हो चुके डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज कर देगी। यह सोच इसलिए भी प्रबल थी क्योंकि अतीत में भी ऐसा हुआ है। लेकिन कुछ अन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि यह काम केवल 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद ही होगा।

अतीत में DA मर्जर का इतिहास और पैटर्न

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भारत सरकार में DA मर्जर का एक लंबा इतिहास है जिसे समझना जरूरी है। 5वें वेतन आयोग के लागू होने के समय सरकार ने डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज किया था। उस समय डीए 50 प्रतिशत से अधिक हो गया था जिसके बाद इसे बेसिक सैलरी में मिला दिया गया था। यह कदम कर्मचारियों के लिए फायदेमंद साबित हुआ था क्योंकि इससे उनकी पेंशन और अन्य भत्तों की गणना भी बढ़े हुए आधार पर होने लगी थी।

हालांकि इसके बाद 6वें और 7वें वेतन आयोग के दौरान ऐसा नहीं हुआ। 6वें वेतन आयोग ने DA को बेसिक सैलरी में मर्ज करने का विरोध किया था। इसी कारण 7वें वेतन आयोग में भी यह काम नहीं हो सका। यह पैटर्न दिखाता है कि DA मर्जर का मामला हर वेतन आयोग के अपने दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। अब सवाल यह है कि 8वां वेतन आयोग इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाएगा।

कर्मचारी संगठनों की मांग और उनके तर्क

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राष्ट्रीय संयुक्त सलाहकार मशीनरी परिषद सहित कई प्रमुख कर्मचारी संगठन लगातार DA को बेसिक सैलरी में मर्ज करने की मांग उठा रहे हैं। उनका तर्क यह है कि जब डीए 50 प्रतिशत से ऊपर पहुंच जाता है तो इसे बेसिक सैलरी में मिला देना चाहिए। इससे कर्मचारियों को कई फायदे होते हैं जैसे कि पेंशन की गणना बढ़े हुए आधार पर होती है और अन्य भत्ते भी इस नई बेसिक सैलरी के अनुपात में बढ़ जाते हैं।

कर्मचारी संगठनों का यह भी कहना है कि महंगाई लगातार बढ़ रही है और डीए का मकसद ही यह है कि कर्मचारियों की खरीदारी की शक्ति बनी रहे। जब यह एक बड़ी मात्रा में पहुंच जाता है तो इसे बेसिक सैलरी में मिलाकर एक नई शुरुआत करनी चाहिए। यह न केवल कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी सुविधाजनक होता है क्योंकि गणना आसान हो जाती है।

सरकार का स्पष्ट और निर्णायक जवाब

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इन सभी चर्चाओं और अटकलों के बीच केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब देकर इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान की है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि फिलहाल सरकार की ओर से डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज करने की कोई योजना नहीं है। यह बयान न केवल वर्तमान स्थिति के लिए है बल्कि 8वें वेतन आयोग से पहले अंतरिम राहत के तौर पर भी डीए मर्जर की कोई संभावना नहीं है।

मंत्री जी के इस स्पष्ट बयान से यह बात साफ हो गई है कि कम से कम निकट भविष्य में DA मर्जर की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। यह जवाब उन सभी अटकलों पर विराम लगाता है जो कर्मचारियों के बीच चल रही थीं। अब कर्मचारी इस बात को लेकर निश्चिंत हो सकते हैं कि वर्तमान व्यवस्था जारी रहेगी और उन्हें अलग से डीए मिलता रहेगा।

डीए गणना का वर्तमान आधार और भविष्य की संभावनाएं

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वर्तमान में डीए की गणना अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीआई) के आधार पर की जाती है। इसका बेस वर्ष 2016 है जिसके आधार पर महंगाई की दर का आकलन किया जाता है। अगर डीए को 8वें वेतन आयोग के दौरान भी बेसिक सैलरी में मर्ज नहीं किया जाता है तो इसकी गणना इसी आधार पर होती रहेगी। हालांकि 8वें वेतन आयोग के तहत इस गणना पद्धति में बदलाव की संभावना है।

महंगाई की बढ़ती दर को देखते हुए यह संभावना है कि एआईसीपीआई के लिए बेस वर्ष को अपडेट किया जा सकता है। वर्तमान में 2016 का बेस वर्ष उपयोग हो रहा है लेकिन यह काफी पुराना हो गया है। नया बेस वर्ष अधिक सटीक गणना में मदद करेगा और कर्मचारियों को वास्तविक महंगाई के अनुपात में डीए मिल सकेगा। यह तकनीकी बदलाव 8वें वेतन आयोग की एक महत्वपूर्ण सिफारिश हो सकती है।

8वें वेतन आयोग की संभावित भूमिका और अंतिम निर्णय

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8वें वेतन आयोग की सिफारिशें DA मर्जर के भविष्य को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यह आयोग पूरी वेतन संरचना की समीक्षा करेगा और उसमें DA की जगह क्या होगी, यह तय करेगा। आयोग अतीत के अनुभवों, वर्तमान आर्थिक स्थिति और भविष्य की जरूरतों को देखते हुए अपनी सिफारिशें देगा। इन सिफारिशों के आधार पर ही सरकार DA मर्जर के बारे में अपना अंतिम निर्णय लेगी।

फिलहाल कर्मचारियों को इंतजार करना होगा कि 8वां वेतन आयोग क्या सिफारिश करता है। सरकार का स्पष्ट बयान यह है कि वर्तमान में कोई बदलाव नहीं होगा। DA मर्जर या बेस वर्ष में बदलाव जैसे सभी महत्वपूर्ण निर्णय 8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही लिए जाएंगे। यह एक धीमी प्रक्रिया है लेकिन यह सुनिश्चित करती है कि सभी पहलुओं पर विचार करके ही कोई निर्णय लिया जाए।

Disclaimer

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यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। DA मर्जर और वेतन संबंधी नीतियां सरकारी निर्णयों पर निर्भर करती हैं। नवीनतम अपडेट के लिए आधिकारिक सरकारी घोषणाओं का इंतजार करें। किसी भी वित्तीय योजना से पहले विशेषज्ञ सलाह लें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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