EMI Bounce: आज के समय में कई लोग कार या अन्य वाहन खरीदने के लिए लोन लेते हैं और कभी-कभी वित्तीय परेशानियों के कारण उनकी ईएमआई बाउंस हो जाती है। जब लोन की किस्त नहीं भरी जाती तो बैंक और वित्तीय संस्थान रिकवरी एजेंटों का सहारा लेते हैं जो कई बार वाहन को जबरदस्ती उठाकर ले जाते हैं। इससे लोन लेने वाले व्यक्ति की परेशानी और भी बढ़ जाती है और वह अपने अधिकारों के बारे में भूल जाता है। लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि लोन लेने वाले व्यक्ति के भी कई कानूनी अधिकार होते हैं जिनका उपयोग करके वे इन परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं। इन अधिकारों की जानकारी हर लोन धारक के लिए आवश्यक है।
ईएमआई बाउंस होने पर बैंक की कार्रवाई
जब किसी व्यक्ति की कार लोन की ईएमआई नहीं चुकती तो बैंक या लोन देने वाली संस्था सबसे पहले रिमाइंडर और नोटिस भेजती है। इसके साथ ही बैंक के प्रतिनिधि फोन कॉल करते हैं और ग्राहक को ईएमआई चुकाने के लिए कहते हैं। यदि ग्राहक इन सभी अनुरोधों का जवाब नहीं देता तो बैंक रिकवरी एजेंटों को भेजता है। कई बार तो लोन देने वाली संस्था सीधे वाहन को अपने कब्जे में ले लेती है। इस पूरी प्रक्रिया में लोन लेने वाले व्यक्ति को पेनल्टी का भुगतान भी करना पड़ता है। यदि लोन गारंटर है तो उससे भी संपर्क किया जाता है और उस पर भी दबाव बनाया जाता है।
एनपीए घोषित होने की प्रक्रिया
जब किसी ग्राहक की लगातार तीन ईएमआई मिस हो जाती है और वह बैंक द्वारा भेजे गए नोटिस का कोई जवाब नहीं देता तो बैंक उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करता है। सबसे पहले बैंक उस लोन को नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए की श्रेणी में डाल देता है। इसके बाद ग्राहक का क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है और भविष्य में उसे कोई लोन मिलना मुश्किल हो जाता है। एनपीए घोषित होने के बाद बैंक की कार्रवाई और भी तेज हो जाती है। इस स्थिति में पहुंचने से बचने के लिए ग्राहक को समय रहते बैंक से संपर्क करना चाहिए और अपनी वित्तीय समस्या के बारे में बताना चाहिए।
रिकवरी एजेंट द्वारा वाहन उठाने की प्रक्रिया
एनपीए घोषित होने के बाद बैंक कार की रिकवरी के लिए रिकवरी एजेंटों को ग्राहक के घर भेजता है। ये एजेंट कुछ आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी करके वाहन को उठा ले जाते हैं। कई बार इस प्रक्रिया में जोर-जबरदस्ती भी की जाती है जो कानूनन गलत है। वाहन उठाने के बाद भी बैंक ग्राहक को एक महीने का अतिरिक्त समय देता है ईएमआई चुकाने के लिए। इस स्थिति में यदि ग्राहक चार महीने की ईएमआई, पेनल्टी और वाहन पार्किंग चार्ज का भुगतान कर दे तो वह अपना वाहन वापस ले सकता है। यह पूरी प्रक्रिया ग्राहक के लिए काफी महंगी और परेशानी भरी हो सकती है।
लोन धारक के मुख्य अधिकार
लोन लेने वाले व्यक्ति के पास कई महत्वपूर्ण अधिकार होते हैं जिनकी जानकारी हर व्यक्ति को होनी चाहिए। सबसे पहला और मुख्य अधिकार यह है कि कोई भी रिकवरी एजेंट जबरदस्ती आपका वाहन नहीं उठा सकता। यदि ऐसा होता है तो आप पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। दूसरा महत्वपूर्ण अधिकार यह है कि रिकवरी एजेंट आपके साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं कर सकता। भले ही आपकी ईएमआई मिस हो गई हो लेकिन आपको भी आत्मसम्मान का अधिकार है। तीसरा अधिकार यह है कि रिकवरी एजेंट आपकी वित्तीय स्थिति की जानकारी किसी तीसरे व्यक्ति को नहीं दे सकता। यह जानकारी केवल लोन धारक और गारंटर तक सीमित रहनी चाहिए।
समय संबंधी नियम और प्रतिबंध
रिकवरी एजेंटों के लिए समय संबंधी सख्त नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। रिकवरी एजेंट सुबह सात बजे से पहले और शाम सात बजे के बाद लोन धारक के घर नहीं आ सकता और न ही फोन कर सकता है। यदि इस निर्धारित समय के अलावा कोई रिकवरी एजेंट आपको परेशान करता है तो आप उसकी शिकायत कर सकते हैं। यह नियम लोन धारक की निजता और शांति के अधिकार की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। इस नियम का उल्लंघन करने वाले रिकवरी एजेंट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यदि कोई एजेंट इस नियम का उल्लंघन करता है तो आप बैंक से भी शिकायत कर सकते हैं।
बैंक से अतिरिक्त समय की मांग
जब आप ईएमआई नहीं चुका पा रहे हों तो सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप तुरंत बैंक से संपर्क करें और अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में सच्चाई से बताएं। यदि आपको लगता है कि कुछ दिनों बाद आपके पास पैसों का प्रबंध हो जाएगा तो आप बैंक से ईएमआई चुकाने के लिए अतिरिक्त समय की मांग कर सकते हैं। हालांकि समय देना या न देना पूरी तरह से बैंक के विवेक पर निर्भर करता है। यदि बैंक अतिरिक्त समय देती है तो आपको अधिक ब्याज और पेनल्टी का भुगतान करना पड़ सकता है। फिर भी यह विकल्प वाहन खो देने से बेहतर है। प्रारंभिक संपर्क से कई बार समस्या का समाधान निकल जाता है।
गलत व्यवहार के खिलाफ शिकायत के अधिकार
यदि कोई रिकवरी एजेंट आपके साथ अनुचित व्यवहार करता है, धमकी देता है, या आपकी निजता का हनन करता है तो आप विभिन्न स्तरों पर शिकायत कर सकते हैं। सबसे पहले आप संबंधित बैंक में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि बैंक से संतोषजनक जवाब नहीं मिलता तो आप बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत कर सकते हैं। गंभीर मामलों में पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। आपको यह भी अधिकार है कि आप रिकवरी एजेंट की गतिविधियों का रिकॉर्ड रख सकें। यदि कोई एजेंट कानून का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
व्यावहारिक सुझाव और सावधानियां
लोन लेते समय हमेशा अपनी वित्तीय क्षमता को ध्यान में रखें और केवल उतना ही लोन लें जितना आप आसानी से चुका सकें। यदि कभी ईएमआई में देरी हो तो तुरंत बैंक को सूचित करें और स्थिति स्पष्ट करें। अपने सभी अधिकारों की जानकारी रखें और किसी भी प्रकार के दबाव में गलत फैसला न लें। रिकवरी एजेंट के साथ हुई सभी बातचीत का रिकॉर्ड रखें और यदि आवश्यक हो तो कानूनी सलाह लें। याद रखें कि आपके पास अधिकार हैं और इनका सदुपयोग करके आप अपनी समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। कानूनी मामलों में विशिष्ट सलाह के लिए योग्य कानूनी सलाहकार से संपर्क करना उचित होगा। विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों की नीतियां अलग हो सकती हैं।