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हो गई मौज, अब मिलेगा सस्ता सोना, कीमतों में 14 से 15 हजार की गिरावट Gold Rate

By Meera Sharma

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Gold Rate

Gold Rate: इस वर्ष सोने के दामों में हुई अभूतपूर्व वृद्धि ने आम उपभोक्ताओं को गहरी चिंता में डाल दिया है। विशेष रूप से उन परिवारों के लिए यह स्थिति कष्टकारी साबित हुई है जिनके घरों में शादी-विवाह जैसे शुभ अवसर आए हैं। सोने की ऊंची कीमतों के कारण लोगों को अपने पारंपरिक खरीदारी के फैसलों पर पुनर्विचार करना पड़ा है। कई लोग यह सोचकर पछता रहे हैं कि उन्होंने कुछ समय पहले ही सोना क्यों नहीं खरीद लिया था जब दाम अपेक्षाकृत कम थे। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति जल्द ही बदलने वाली है और सोने के दामों में महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिल सकती है। इस संभावित बदलाव से उन लोगों को राहत मिल सकती है जो सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं।

आज के सोने के दाम और बाजारी स्थिति

11 जून 2025 को सोने की कीमतों में मामूली नरमी देखने को मिली है, जो आने वाले समय की गिरावट का संकेत हो सकता है। दिल्ली के बाजार में आज 22 कैरेट सोना 89,590 रुपये प्रति दस ग्राम और 24 कैरेट सोना 97,720 रुपये प्रति दस ग्राम की दर से कारोबार कर रहा है। वहीं देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 22 कैरेट सोना 89,440 रुपये प्रति दस ग्राम और 24 कैरेट सोना 97,570 रुपये प्रति दस ग्राम पर बिक रहा है। इन आंकड़ों को देखने से स्पष्ट होता है कि सोने के दाम अभी भी काफी ऊंचे स्तर पर हैं। अन्य प्रमुख शहरों में भी सोने की कीमतें इसी के आसपास चल रही हैं, जो दर्शाता है कि पूरे देश में सोने की महंगाई का असर दिखाई दे रहा है।

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एमसीएक्स पर सोने की ट्रेडिंग स्थिति

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर 11 जून को सोने की कीमतें 97,337 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच गईं, जो पिछले दिन की तुलना में 445 रुपये यानी 0.46 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। आज सोने का न्यूनतम भाव 97,005 रुपये प्रति दस ग्राम और अधिकतम भाव 97,395 रुपये प्रति दस ग्राम दर्ज किया गया। एक्सचेंज पर सोना 97,249 रुपये पर खुला था, जबकि पिछले दिन यह 96,902 रुपये पर बंद हुआ था। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि सोने की कीमतों में दैनिक उतार-चढ़ाव जारी है। ट्रेडर्स और निवेशक इन बदलावों को बारीकी से देख रहे हैं और भविष्य की रणनीति बना रहे हैं।

विशेषज्ञों की सलाह और निवेश रणनीति

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क्वांट म्यूचुअल फंड के विशेषज्ञों का सुझाव है कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में सोने का एक निश्चित हिस्सा अवश्य रखना चाहिए। उनका मानना है कि हालांकि अल्पकालिक अवधि में सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है, लेकिन मध्यम और दीर्घकालिक नजरिए से देखा जाए तो सोने के दाम में वृद्धि की संभावना है। विशेषज्ञ दीर्घकालिक संभावनाओं को लेकर आशावादी दृष्टिकोण अपनाए हुए हैं। उनका सुझाव है कि निवेशकों को तत्काल सोना बेचने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए बल्कि बाजार की स्थिति को समझकर समझदारी से निर्णय लेना चाहिए। सोना पारंपरिक रूप से एक सुरक्षित निवेश माना जाता है और आर्थिक अनिश्चितता के समय में यह एक बेहतर विकल्प साबित होता है।

सोने की कीमतों में अपेक्षित गिरावट

क्वांट म्यूचुअल फंड की हाल की रिपोर्ट में यह पूर्वानुमान लगाया गया है कि सोने की कीमतें अपने चरम पर पहुंच चुकी हैं और अब इसमें सुधार की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार आने वाले दो महीनों में डॉलर के मुकाबले सोने में 12 से 15 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो सोने की कीमतों में 12 से 15 हजार रुपये प्रति दस ग्राम तक की कमी आ सकती है। यह गिरावट उन उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात होगी जो सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, वर्तमान में सोना रखने वाले निवेशकों के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि उनके निवेश का मूल्य घट सकता है।

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कच्चे तेल में तेजी की संभावना

विशेषज्ञों का अनुमान है कि जून का महीना कच्चे तेल के लिए तेजी का महीना साबित हो सकता है। कच्चे तेल की कीमतों में 10 से 12 प्रतिशत तक की वृद्धि की संभावना जताई जा रही है। यह बदलाव वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और मांग-आपूर्ति के संतुलन पर आधारित है। कच्चे तेल और सोने की कीमतों के बीच अक्सर विपरीत संबंध देखने को मिलता है। जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो अक्सर सोने की कीमतों में नरमी आती है। वैश्विक इक्विटी बाजारों में हाल ही में आई गिरावट और अमेरिकी इक्विटी के लिए मध्यम अवधि की चुनौतियों के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तरलता मजबूत बनी हुई है। डॉलर इंडेक्स में जनवरी के बाद स्थिरता देखने को मिल रही है।

बाजारी कारक और सोने की कीमतों पर प्रभाव

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क्वांट म्यूचुअल फंड के विश्लेषण के अनुसार कई क्षेत्रों में चुनिंदा खरीदारी के अवसर मिल सकते हैं। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां, बुनियादी ढांचा, होटल और आतिथ्य, फार्मास्यूटिकल्स, सामग्री, खुदरा और दूरसंचार जैसे क्षेत्र शामिल हैं। फंड के ‘प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स’ मॉडल यह संकेत दे रहे हैं कि भारतीय इक्विटी में सुधार का दौर समाप्त हो रहा है और तेजी की उम्मीद बढ़ रही है। डॉलर इंडेक्स के स्थिर होने की स्थिति में सोने की कीमतों में गिरावट की संभावना बढ़ जाती है। यह इसलिए होता है क्योंकि डॉलर मजबूत होने पर सोना महंगा हो जाता है और डॉलर कमजोर होने पर सोना सस्ता हो जाता है। वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में ये सभी कारक सोने की कीमतों में गिरावट के पक्ष में हैं।

निवेशकों के लिए भविष्य की रणनीति

सोने की कीमतों में आने वाली संभावित गिरावट को देखते हुए निवेशकों को अपनी रणनीति में संशोधन करने की आवश्यकता हो सकती है। जो लोग सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए आने वाले समय में बेहतर अवसर मिल सकते हैं। वहीं वर्तमान में सोना रखने वाले निवेशकों को धैर्य रखना चाहिए और बाजार की अस्थायी गिरावट से घबराना नहीं चाहिए। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए सोना एक अच्छा विकल्प बना रह सकता है। ज्वेलरी खरीदने वाले उपभोक्ताओं के लिए अगले दो महीने महत्वपूर्ण हो सकते हैं क्योंकि इस दौरान बेहतर दामों पर सोना मिल सकता है। हालांकि बाजार की अनिश्चितता को देखते हुए सभी निर्णय सोच-समझकर लेना आवश्यक है।

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Disclaimer

यह लेख बाजार विश्लेषण और विशेषज्ञों के अनुमान पर आधारित है। सोने की कीमतों में वास्तविक बदलाव विभिन्न घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कारकों पर निर्भर करता है। निवेश संबंधी कोई भी निर्णय लेने से पहले वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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