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2 महीने बाद इतने का मिलेगा 1 ग्राम सोना Gold Rate

By Meera Sharma

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Gold Rate

Gold Rate: 2025 का वर्ष सोने के बाजार के लिए एक ऐतिहासिक साल साबित हुआ है जब इस कीमती धातु ने निवेशकों को चौंकाने वाला प्रदर्शन दिया है। वर्ष की शुरुआत में सोने की कीमत लगभग 76,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास थी लेकिन 22 अप्रैल को यह एक लाख रुपए का मनोवैज्ञानिक स्तर पार कर गया। यह उपलब्धि भारतीय सर्राफा बाजार के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जा रही है। इस दौरान सोने में निवेश करने वाले लोगों को 30 प्रतिशत तक का शानदार रिटर्न मिला है। हालांकि इस तेजी के बाद सोने की कीमतों में कुछ गिरावट भी देखी गई है जिससे बाजार में मिश्रित भावनाएं हैं।

वैश्विक कारकों का सोने पर प्रभाव

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चल रही उथल-पुथल का सोने की कीमतों पर गहरा असर पड़ा है। वित्तीय विशेषज्ञ एड यार्डेनी के अनुसार वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के कारण निवेशक सुरक्षित निवेश विकल्पों की तलाश में सोने की तरफ रुख कर रहे हैं। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक युद्ध ने भी इस स्थिति को और जटिल बना दिया है। डॉलर की कमजोर होती स्थिति के कारण अन्य देशों की मुद्राओं में निवेश करने वाले लोगों के लिए सोना अपेक्षाकृत सस्ता हो गया है। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोने की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक नीतियों में अनिश्चितता भी सोने की बढ़ती लोकप्रियता के पीछे मुख्य कारण हैं।

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घरेलू बाजार की परिस्थितियां और प्रभावी तत्व

भारतीय बाजार में डॉलर-रुपया की विनिमय दर में आने वाले उतार-चढ़ाव का सोने की कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। अमेरिकी प्रशासन द्वारा यूरोपीय संघ पर लगाए गए टैरिफ की समयसीमा में विस्तार के फैसले ने भी स्वर्ण बाजार में हलचल मचाई है। हाल की अवधि में भू-राजनीतिक तनाव में कमी आने से निवेशकों का रुझान दूसरी संपत्ति श्रेणियों की ओर होने लगा है। मुद्रास्फीति की दर, ब्याज दरों में बदलाव और केंद्रीय बैंक की नीतियां भी सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारक हैं। त्योहारी सीजन और शादी-विवाह के मौसम में होने वाली मांग भी कीमतों को प्रभावित करती है।

निवेशकों और उपभोक्ताओं के व्यवहार में परिवर्तन

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सोने की बढ़ती कीमतों का सबसे दिलचस्प प्रभाव निवेशकों और आम उपभोक्ताओं के व्यवहार में देखा गया है। पिछले 16 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि साल की पहली तिमाही में ज्वेलरी की खरीदारी में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। आम लोग ऊंची कीमतों के कारण सोने के गहने खरीदने से कतरा रहे हैं। दूसरी ओर निवेशकों में सोने के प्रति रुचि काफी बढ़ी है और उनके द्वारा निवेश के लिए सोना खरीदना दस साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि कुल मिलाकर सोने में निवेश में 7 प्रतिशत की कमी आई है। यह बदलाव दिखाता है कि सोना अब केवल पारंपरिक ज्वेलरी के लिए नहीं बल्कि निवेश के साधन के रूप में अधिक देखा जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू बाजार की वर्तमान स्थिति

वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड की कीमतों में 0.6 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 3,295.99 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है। अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स में भी समान प्रतिशत में कमजोरी देखी गई है और यह 3,294.20 डॉलर प्रति औंस पर ट्रेड कर रहा है। भारतीय बाजार में एमसीएक्स पर गोल्ड फ्यूचर्स में 315 रुपए यानी 0.33 प्रतिशत की गिरावट के साथ यह 95,074 रुपए प्रति 10 ग्राम पर कारोबार हो रहा है। हाल के सप्ताह में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने में 1.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट मुख्यतः निवेशकों द्वारा मुनाफावसूली और बाजार में आई तकनीकी बिकवाली के कारण हुई है।

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विशेषज्ञों के दो महीने बाद के पूर्वानुमान

स्वर्ण बाजार के विशेषज्ञ राजेश सोनी के अनुसार आने वाले दो महीनों में सोने की कीमतों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। उनका अनुमान है कि सोना फिर से एक लाख रुपए के स्तर के करीब पहुंच सकता है या इसे पार भी कर सकता है। इस पूर्वानुमान के पीछे मुख्य कारण आने वाले महीनों में व्यापारिक युद्ध की स्थिति में बदलाव है। वर्तमान में अमेरिकी प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ जुलाई तक स्थगित हैं लेकिन उसके बाद स्थिति में बदलाव हो सकता है। जुलाई के बाद जब ये टैरिफ हटेंगे तो बाजार में अनिश्चितता बढ़ेगी और निवेशक फिर से सुरक्षित निवेश के विकल्प के रूप में सोने की तरफ रुख करेंगे। इससे सोने की मांग बढ़ेगी और कीमतें 97,000 से एक लाख रुपए प्रति 10 ग्राम तक जा सकती हैं।

दीर्घकालिक निवेश रणनीति और सुझाव

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सोने में निवेश करने वाले लोगों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए क्योंकि इसकी कीमतों में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव स्वाभाविक है। वर्तमान में जो लोग सोना खरीदने की सोच रहे हैं उन्हें बाजार की स्थिति का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना चाहिए। एक साथ बड़ी मात्रा में खरीदारी करने के बजाय चरणबद्ध तरीके से निवेश करना बेहतर रणनीति हो सकती है। सोने में निवेश का अनुपात कुल पोर्टफोलियो के 10-15 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। भौतिक सोना, गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड बॉन्ड जैसे विकल्पों में से अपनी आवश्यकता और जोखिम सहने की क्षमता के अनुसार चुनाव करना चाहिए। वैश्विक आर्थिक संकेतकों, मुद्रास्फीति दर और भू-राजनीतिक घटनाओं पर नजर रखना भी महत्वपूर्ण है।

भविष्य की संभावनाएं और निष्कर्ष

सोने का भविष्य अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों, भू-राजनीतिक स्थिति और वैश्विक मुद्रास्फीति के रुझान पर निर्भर करेगा। केंद्रीय बैंकों की सोना खरीदारी, डॉलर की मजबूती या कमजोरी और तकनीकी प्रगति भी महत्वपूर्ण कारक होंगे। भारत में त्योहारी मौसम, शादी-विवाह का सीजन और ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति भी मांग को प्रभावित करेगी। डिजिटल गोल्ड और अन्य नवीन निवेश विकल्पों के आने से पारंपरिक सोना खरीदारी के तरीकों में भी बदलाव आ सकता है। कुल मिलाकर सोना अभी भी एक महत्वपूर्ण निवेश विकल्प बना रहेगा लेकिन निवेशकों को सतर्क और धैर्यवान रहना होगा। बाजार की अस्थिरता को देखते हुए विशेषज्ञों की सलाह लेना और बाजार की निरंतर निगरानी करना आवश्यक है।

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Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी और शैक्षणिक उद्देश्य से तैयार किया गया है। सोने की कीमतें वैश्विक और स्थानीय कारकों के आधार पर निरंतर बदलती रहती हैं। यहां दिए गए पूर्वानुमान और विश्लेषण केवल संदर्भ के लिए हैं। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें। लेखक या प्रकाशक इस जानकारी के आधार पर लिए गए किसी भी निवेश निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं है।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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