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35 हजार सैलरी वालों को 1,41,346 रुपये मिलेगी ग्रेच्युटी, कर्मचारी समझ लें कैलकुलेशन Gratuity Rule

By Meera Sharma

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Gratuity Rule

Gratuity Rule: भारत सरकार ने हाल ही में ग्रेच्युटी से संबंधित कर नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किया है जो सभी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। अब कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेच्युटी की राशि 20 लाख रुपये के बजाय 25 लाख रुपये तक कर मुक्त होगी। यह निर्णय करोड़ों कर्मचारियों को प्रभावित करता है और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत बनाता है। ग्रेच्युटी एक महत्वपूर्ण सेवा लाभ है जो कर्मचारियों को उनकी लंबी सेवा के बदले में दिया जाता है।

यह नई व्यवस्था विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है जो लंबे समय तक एक ही संस्थान में काम करते हैं। सरकार का यह कदम कर्मचारी कल्याण की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। इससे न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी बल्कि उनके परिवार की भविष्य की सुरक्षा भी बेहतर होगी। यह बदलाव तुरंत प्रभावी हो गया है और सभी पात्र कर्मचारी इसका लाभ उठा सकते हैं।

ग्रेच्युटी की पात्रता और आवश्यक शर्तें

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ग्रेच्युटी पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि कर्मचारी को एक ही कंपनी या संस्थान में कम से कम 5 साल तक निरंतर सेवा करनी होगी। यह अवधि पूरी न होने पर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार नहीं होता। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति 4 साल 11 महीने में नौकरी छोड़ देता है तो उसे ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी। यह नियम ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत निर्धारित है और सभी कर्मचारियों पर समान रूप से लागू होता है।

हालांकि इस नियम में कुछ अपवाद भी हैं जो मानवीय आधार पर बनाए गए हैं। यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या वह किसी दुर्घटना के कारण विकलांग हो जाता है तो 5 साल की शर्त लागू नहीं होती। ऐसी स्थिति में कर्मचारी या उसके नामांकित व्यक्ति को ग्रेच्युटी मिल जाती है। यह व्यवस्था कर्मचारी के परिवार की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है।

ग्रेच्युटी की गणना का सरल तरीका

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ग्रेच्युटी की गणना के लिए एक निर्धारित फार्मूला है जो बहुत सरल और स्पष्ट है। इस फार्मूले के अनुसार ग्रेच्युटी की राशि = अंतिम वेतन × 15/26 × सेवा वर्ष। यहां अंतिम वेतन में मूल वेतन और महंगाई भत्ता दोनों शामिल होते हैं। यह गणना प्रति वर्ष 15 दिन के आधार पर की जाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी कर्मचारी का अंतिम वेतन 35,000 रुपये है और उसने 7 साल सेवा की है तो उसकी ग्रेच्युटी होगी (35,000 × 15/26 × 7) = 1,41,346 रुपये।

इस गणना में 15/26 का महत्वपूर्ण स्थान है जो एक महीने में कार्य दिवसों को दर्शाता है। यह माना जाता है कि एक महीने में 26 कार्य दिवस होते हैं और 4 दिन अवकाश के लिए होते हैं। इसलिए प्रति वर्ष 15 दिन की दर से ग्रेच्युटी की गणना की जाती है। यदि कर्मचारी ने 6 महीने से अधिक समय तक काम किया है तो उसे पूरे एक साल के रूप में गिना जाता है।

सेवा काल की गणना में विशेष नियम

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ग्रेच्युटी की गणना में सेवा काल की गणना के लिए एक विशेष नियम है जो कर्मचारियों के हित में बनाया गया है। यदि कोई कर्मचारी 6 महीने से अधिक समय तक अतिरिक्त सेवा करता है तो उसे पूरे एक साल के रूप में माना जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी ने 7 साल 7 महीने काम किया है तो इसे 8 साल माना जाएगा। वहीं यदि किसी ने 7 साल 3 महीने काम किया है तो इसे केवल 7 साल ही गिना जाएगा।

यह नियम कर्मचारियों के पक्ष में है और उन्हें अधिकतम लाभ प्रदान करने के लिए बनाया गया है। इससे कर्मचारियों को उनकी अतिरिक्त सेवा का उचित लाभ मिलता है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि कर्मचारी का एक भी दिन का योगदान व्यर्थ न जाए। सेवा काल की यह गणना सभी प्रकार के कर्मचारियों पर समान रूप से लागू होती है चाहे वे सरकारी हों या निजी क्षेत्र में काम करते हों।

कर्मचारियों की दो श्रेणियां और उनके नियम

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ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत कर्मचारियों को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है। पहली श्रेणी में वे कर्मचारी आते हैं जो ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के दायरे में आते हैं। दूसरी श्रेणी में वे कर्मचारी हैं जो इस अधिनियम के दायरे में नहीं आते। दोनों श्रेणियों के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की गणना का तरीका समान है लेकिन कुछ विशेष नियम अलग हो सकते हैं।

सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारी इन श्रेणियों में शामिल होते हैं। पहली श्रेणी के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा और नियम अधिनियम के तहत स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं। दूसरी श्रेणी के कर्मचारियों के लिए नियम उनकी कंपनी की नीति और सेवा शर्तों के अनुसार तय होते हैं। फिर भी मूल सिद्धांत और गणना का तरीका दोनों के लिए समान रहता है।

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सरकार द्वारा ग्रेच्युटी की कर मुक्त सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करना एक महत्वपूर्ण निर्णय है। इससे अधिकांश कर्मचारियों को अपनी पूरी ग्रेच्युटी पर कोई कर नहीं देना होगा। यह विशेष रूप से उन वरिष्ठ कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है जिन्होंने लंबी सेवा की है और उनकी ग्रेच्युटी राशि अधिक है। यह बदलाव सेवानिवृत्त कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में सहायक होगा।

इस नई व्यवस्था से कर्मचारियों को दोहरा लाभ मिलता है – एक तो उन्हें अधिक ग्रेच्युटी मिलती है और दूसरे उस पर कम या कोई कर नहीं लगता। यह कर मुक्त राशि रिटायरमेंट के बाद की वित्तीय योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कर्मचारी इस राशि का उपयोग अपनी भविष्य की जरूरतों, स्वास्थ्य सेवा, या अन्य निवेश के लिए कर सकते हैं।

भविष्य की संभावनाएं और सुझाव

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ग्रेच्युटी के नए नियम कर्मचारी कल्याण की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं लेकिन इसके साथ ही कर्मचारियों को अपनी वित्तीय योजना में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। ग्रेच्युटी एक महत्वपूर्ण retirement corpus है लेकिन इसे अकेले पर्याप्त नहीं माना जाना चाहिए। कर्मचारियों को EPF, PPF, और अन्य निवेश विकल्पों के साथ एक संतुलित retirement planning करनी चाहिए।

भविष्य में सरकार इन नियमों में और भी सुधार कर सकती है। कर्मचारियों को चाहिए कि वे अपनी कंपनी की HR नीतियों से अवगत रहें और अपनी ग्रेच्युटी की गणना समय-समय पर करते रहें। यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि नामांकन की औपचारिकताएं पूरी हों ताकि आपातकाल में परिवार को कोई परेशानी न हो।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। ग्रेच्युटी की गणना और कर नियम जटिल हो सकते हैं, इसलिए किसी भी निर्णय से पहले योग्य वित्तीय सलाहकार या HR विभाग से सलाह लेना आवश्यक है। नियम और दरें समय के साथ बदल सकती हैं।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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