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40 लाख के होम लोन पर कर सकते हैं 12 लाख रुपये की बचत, लोन लेने वाले जरूर जान लें ये काम की बात Home Loan EMI

By Meera Sharma

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Home Loan EMI: भारतीय समाज में संपत्ति के अधिकारों को लेकर अनेक भ्रांतियां और गलत धारणाएं प्रचलित हैं। विशेषकर विवाहित महिलाओं के संपत्ति अधिकारों के संबंध में लोगों में स्पष्टता का अभाव देखा जाता है। आज के इस लेख में हम भारतीय कानून के अनुसार यह समझने का प्रयास करेंगे कि क्या कोई बहू अपने ससुराल की संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा कर सकती है या नहीं।

संपत्ति कानून एक जटिल विषय है जिसमें विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग नियम लागू होते हैं। इन नियमों की सही समझ न होने के कारण अक्सर पारिवारिक विवाद उत्पन्न होते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति को अपने कानूनी अधिकारों और सीमाओं की जानकारी हो।

व्यक्तिगत संपत्ति का मूलभूत सिद्धांत

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भारतीय कानून के अनुसार जो व्यक्ति अपनी मेहनत, कड़ी मशक्कत और कमाई से कोई संपत्ति अर्जित करता है, उस संपत्ति पर पूर्ण अधिकार केवल उसी व्यक्ति का होता है। यह संपत्ति चाहे भूमि हो, मकान हो, नकदी हो या कोई भी मूल्यवान वस्तु हो, इस पर संपत्ति के मालिक का एकछत्र अधिकार होता है। मालिक चाहे तो अपनी संपत्ति को बेच सकता है, गिरवी रख सकता है, किसी को दान दे सकता है या वसीयत के माध्यम से किसी को सौंप सकता है।

इस मूलभूत सिद्धांत के अनुसार संपत्ति के मालिक की वैवाहिक स्थिति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। चाहे व्यक्ति की शादी हो चुकी हो या न हो, उसकी अपनी कमाई की संपत्ति पर उसका ही अधिकार रहता है। यह सिद्धांत महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए समान रूप से लागू होता है।

बहू के ससुराल की संपत्ति में अधिकार की स्थिति

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सामान्य परिस्थितियों में कोई भी बहू अपने सास-ससुर की संपत्ति में कोई कानूनी हिस्सेदारी का दावा नहीं कर सकती। यह नियम तब लागू होता है जब सास-ससुर जीवित हैं और साथ ही उनकी मृत्यु के बाद भी। ससुराल की संपत्ति में पहला और प्राथमिक अधिकार पति का होता है, क्योंकि वह सास-ससुर का प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी है।

हालांकि भारतीय कानून में महिलाओं को पति के घर में निवास का अधिकार प्राप्त है, लेकिन निवास का अधिकार और संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार दो अलग-अलग कानूनी अवधारणाएं हैं। निवास का अधिकार केवल रहने की सुविधा प्रदान करता है, जबकि संपत्ति में हिस्सेदारी का मतलब है संपत्ति पर मालिकाना हक।

विशेष परिस्थितियों में बहू के अधिकार

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कुछ विशेष परिस्थितियों में बहू के संपत्ति अधिकार बदल सकते हैं। यदि पति की मृत्यु सास-ससुर से पहले हो जाती है, तो स्थिति में परिवर्तन हो सकता है। ऐसी दशा में यदि बाद में सास-ससुर की भी मृत्यु हो जाती है, तो पति के हिस्से की संपत्ति पर बहू का अधिकार स्थापित हो सकता है। यह इसलिए संभव है क्योंकि पत्नी अपने पति की कानूनी उत्तराधिकारी होती है।

लेकिन यह अधिकार तभी मान्य होता है जब सास-ससुर ने अपनी संपत्ति के लिए कोई वसीयत नहीं बनाई हो या वसीयत में संपत्ति किसी और को न दी हो। वसीयत की उपस्थिति में वसीयत के अनुसार ही संपत्ति का बंटवारा होता है।

पुत्र के निवास अधिकार की सीमाएं

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यह दिलचस्प तथ्य है कि भारतीय कानून के अनुसार यहां तक कि बेटा भी अपने माता-पिता के घर में तभी तक रह सकता है जब तक माता-पिता की सहमति हो। बेटा अपने माता-पिता के घर में रहने के लिए कोई कानूनी अधिकार का दावा नहीं कर सकता। यह नियम तब लागू होता है जब संपत्ति माता-पिता द्वारा स्वयं अर्जित की गई हो।

इस प्रावधान से यह स्पष्ट होता है कि संपत्ति पर मालिक का पूर्ण नियंत्रण होता है। माता-पिता चाहें तो अपने बेटे को भी घर से निकाल सकते हैं, यदि वे ऐसा चाहें। यह कानूनी सिद्धांत संपत्ति के मालिकाना अधिकार की पवित्रता को दर्शाता है।

संपत्ति अधिकारों के मामले में स्पष्टता और जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सामान्यतः बहू का ससुराल की संपत्ति में कोई प्रत्यक्ष अधिकार नहीं होता, लेकिन विशेष परिस्थितियों में यह स्थिति बदल सकती है। पारिवारिक सद्भावना बनाए रखने के लिए यह उचित है कि सभी पारिवारिक सदस्य अपने कानूनी अधिकारों और सीमाओं को समझें।

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संपत्ति संबंधी किसी भी विवाद से बचने के लिए वसीयत बनाना एक बेहतर विकल्प है। इससे भविष्य में होने वाले कानूनी झगड़ों से बचा जा सकता है। साथ ही पारिवारिक रिश्तों में मधुरता भी बनी रह सकती है।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी कानूनी मामले में निर्णय लेने से पहले योग्य कानूनी सलाहकार से परामर्श अवश्य लें। लेखक या प्रकाशक किसी भी कानूनी परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं है।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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