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परिवार का कौन सा सदस्य बेच सकता है पैतृक जमीन, आपको जरूर पता होना चाहिए कानून Land Rights

By Meera Sharma

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Land Rights

Land Rights: भारत में संपत्ति के मामले हमेशा से ही जटिल रहे हैं, खासकर जब बात पैतृक या पुश्तैनी जमीन की आती है। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि पैतृक संपत्ति पर परिवार के कितने सदस्यों का अधिकार होता है और इसे कानूनी रूप से कौन बेच सकता है। यह जानकारी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि गलत निर्णय लेने पर परिवार में विवाद हो सकते हैं और कानूनी समस्याएं भी आ सकती हैं। आज के समय में जब प्रॉपर्टी की कीमतें आसमान छू रही हैं, तो पैतृक संपत्ति के नियमों को समझना और भी जरूरी हो जाता है।

पैतृक संपत्ति के मामले में अक्सर परिवारों में मतभेद होते रहते हैं। कुछ लोग समझते हैं कि परिवार का मुखिया इस संपत्ति को अपनी मर्जी से बेच सकता है, जबकि कुछ का मानना है कि सभी भाई-बहनों की सहमति जरूरी है। वास्तविकता यह है कि पैतृक संपत्ति के कानूनी नियम स्वअर्जित संपत्ति से बिल्कुल अलग हैं और इसे समझना हर परिवार के लिए आवश्यक है।

दो प्रकार की होती है संपत्ति

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किसी भी व्यक्ति के पास मुख्यतः दो प्रकार की संपत्ति हो सकती है। पहली है स्वअर्जित संपत्ति, जो व्यक्ति ने अपनी मेहनत और कमाई से खरीदी है। इसमें वह जमीन, मकान या अन्य संपत्ति शामिल है जो व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में अर्जित की है। स्वअर्जित संपत्ति में उपहार, दान या किसी के द्वारा हक त्याग करके दी जाने वाली संपत्ति भी शामिल होती है।

दूसरी प्रकार की संपत्ति पैतृक या पुश्तैनी संपत्ति होती है। यह वह संपत्ति है जो व्यक्ति को अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है। पैतृक संपत्ति वह होती है जो पिता को अपने पिता या दादा से मिली हो और अब बेटों को मिली हो। यह संपत्ति किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे परिवार की संयुक्त संपत्ति मानी जाती है। इन दोनों प्रकार की संपत्तियों के नियम और अधिकार बिल्कुल अलग हैं।

पैतृक संपत्ति पर चार पीढ़ियों का अधिकार

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पैतृक संपत्ति पर परिवार की चार पीढ़ियों के सदस्यों का समान अधिकार होता है। इसका मतलब यह है कि दादा, पिता, बेटा और पोता सभी का इस संपत्ति पर बराबर का हक होता है। यह अधिकार जन्म से ही मिल जाता है और इसके लिए किसी वसीयत या कानूनी कागजात की जरूरत नहीं होती। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार अब बेटियों का भी पैतृक संपत्ति पर बराबर का अधिकार है।

इस अधिकार का मतलब यह है कि पैतृक संपत्ति को कोई एक व्यक्ति अपनी स्वअर्जित संपत्ति की तरह नहीं बेच सकता। चाहे वह परिवार का मुखिया हो या सबसे बुजुर्ग सदस्य, वह अकेले इस संपत्ति को बेचने का फैसला नहीं ले सकता। यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि पैतृक संपत्ति का दुरुपयोग न हो और सभी हकदारों के अधिकार सुरक्षित रहें।

पैतृक संपत्ति बेचने के लिए सभी की सहमति जरूरी

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पैतृक संपत्ति को बेचने के लिए उससे जुड़े हर एक सदस्य की सहमति आवश्यक होती है। यदि किसी परिवार में चार भाई हैं तो चारों की रजामंदी के बिना पैतृक जमीन नहीं बेची जा सकती। अगर परिवार में बेटियां भी हैं तो उनकी सहमति भी उतनी ही जरूरी है जितनी बेटों की। किसी एक सदस्य के विरोध की स्थिति में पूरी संपत्ति नहीं बेची जा सकती।

हालांकि, यदि कोई व्यक्ति अपने हिस्से को बेचना चाहता है तो वह अपने हिस्से को अलग करवाकर बेच सकता है। लेकिन इसके लिए भी कोर्ट से बंटवारे की अनुमति लेनी होती है। बंटवारे के बाद जो हिस्सा किसी व्यक्ति के नाम आता है, वह उसकी स्वअर्जित संपत्ति बन जाता है और वह उसे अपनी मर्जी से बेच सकता है।

स्वअर्जित संपत्ति के नियम अलग

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स्वअर्जित संपत्ति के मामले में नियम बिल्कुल अलग हैं। जो संपत्ति किसी व्यक्ति ने अपनी कमाई से खरीदी है, उस पर केवल उसी का अधिकार होता है। वह अपनी इच्छा से इसे बेच सकता है, दान कर सकता है या किसी को भी दे सकता है। उसके बेटे-बेटियों का इस संपत्ति पर तब तक कोई अधिकार नहीं होता जब तक वह जीवित है।

स्वअर्जित संपत्ति के मालिक की मृत्यु के बाद ही यह संपत्ति वारिसों में बंटती है। अगर व्यक्ति ने वसीयत बनाई है तो संपत्ति वसीयत के अनुसार बंटेगी, अन्यथा हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार बंटवारा होगा। यह संपत्ति वारिसों को मिलने के बाद उनकी स्वअर्जित संपत्ति बन जाती है।

बिना सहमति बेचने पर कानूनी कार्रवाई

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यदि कोई व्यक्ति पैतृक संपत्ति को बिना सभी हकदारों की सहमति के बेचने की कोशिश करता है, तो अन्य वारिस कोर्ट में जा सकते हैं। कानूनी नोटिस भेजकर इसे बेचने से रोका जा सकता है। यदि संपत्ति पहले ही बेच दी गई है तो कोर्ट से इस बिक्री को रद्द कराया जा सकता है।

ऐसे मामलों में कोर्ट संपत्ति की बिक्री पर रोक लगा सकती है। खरीदार को भी नुकसान हो सकता है क्योंकि बिना सभी हकदारों की सहमति के खरीदी गई संपत्ति का मालिकाना हक संदिग्ध हो जाता है। इसलिए पैतृक संपत्ति खरीदते समय यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी हकदारों ने बिक्री के लिए सहमति दी है।

पैतृक संपत्ति के मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह किसी एक व्यक्ति की संपत्ति नहीं होती। इस पर परिवार के सभी हकदारों का समान अधिकार होता है। इसलिए किसी भी लेन-देन से पहले सभी की सहमति लेना आवश्यक है। पारिवारिक विवादों से बचने के लिए बेहतर यह होगा कि पहले कानूनी बंटवारा करा लिया जाए और फिर अपने-अपने हिस्से के साथ जो चाहे वह करे।

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Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। संपत्ति संबंधी किसी भी निर्णय लेने से पहले योग्य वकील या कानूनी सलाहकार से सलाह लेना आवश्यक है। राज्य के अनुसार कानून में भिन्नता हो सकती है, इसलिए स्थानीय कानूनों की जांच जरूर करें।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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