Advertisement

लोन नहीं भर पाने वालों को मिले 5 अधिकार, जानिये RBI की गाइडलाइन RBI Guidelines

By Meera Sharma

Published On:

RBI Guidelines

RBI Guidelines: आज के समय में विभिन्न वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लोग बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से लोन लेते हैं। घर खरीदने से लेकर व्यापार शुरू करने तक, हर काम के लिए लोन एक आवश्यक साधन बन गया है। हालांकि कई बार आर्थिक परेशानियों के कारण लोग अपनी ईएमआई समय पर नहीं भर पाते हैं। ऐसी स्थिति में बैंक और एनबीएफसी कंपनियां अक्सर लोनधारकों के साथ कठोर व्यवहार करती हैं और कई बार मनमानी भी करती हैं। रिकवरी एजेंटों के माध्यम से धमकियां देना, अपमानजनक व्यवहार करना और गैरकानूनी तरीकों से दबाव बनाना आम बात हो गई है।

इन समस्याओं को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन रिकवरी के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये नियम सुनिश्चित करते हैं कि लोन डिफॉल्ट होने पर भी ग्राहकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार हो और उनके मौलिक अधिकारों का हनन न हो।

पहला अधिकार

यह भी पढ़े:
Gratuity Rule 35 हजार सैलरी वालों को 1,41,346 रुपये मिलेगी ग्रेच्युटी, कर्मचारी समझ लें कैलकुलेशन Gratuity Rule

आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार बैंक को लोनधारक की गिरवी रखी संपत्ति जब्त करने से पहले उचित नोटिस देना अनिवार्य है। किसी भी ग्राहक के खाते को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट की श्रेणी में 90 दिन से पहले नहीं डाला जा सकता। यदि कोई व्यक्ति लगातार तीन महीने तक अपनी ईएमआई नहीं भरता है तभी बैंक इस कदम को उठा सकता है। दो ईएमआई न चुकाने पर बैंक को ग्राहक को नोटिस देना होता है। यह नियम सुनिश्चित करता है कि कोई भी तत्काल कार्रवाई न की जाए और ग्राहक को अपनी स्थिति सुधारने का पर्याप्त समय मिले।

इस व्यवस्था का उद्देश्य यह है कि अस्थायी वित्तीय समस्याओं के कारण कोई भी व्यक्ति तुरंत अपनी संपत्ति न खो दे। तीन महीने की अवधि में व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने की कोशिश कर सकता है।

दूसरा अधिकार

यह भी पढ़े:
DA Hike July 1.2 करोड़ सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, महंगाई भत्ते में इतने प्रतिशत की बढ़ोतरी DA Hike July

रिकवरी प्रक्रिया में सबसे बड़ी समस्या रिकवरी एजेंटों का दुर्व्यवहार होता है। आरबीआई के नए नियमों के अनुसार रिकवरी एजेंट या बैंक कर्मचारी लोनधारक को किसी भी प्रकार की धमकी नहीं दे सकते और न ही उनके साथ अपमानजनक व्यवहार कर सकते हैं। रिकवरी एजेंट केवल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही ग्राहक से संपर्क कर सकता है। रात के समय या सुबह जल्दी फोन करना या घर आना प्रतिबंधित है। यदि कोई एजेंट दुर्व्यवहार करता है तो ग्राहक बैंकिंग ओंबड्समैन के पास शिकायत दर्ज कर सकता है।

यह नियम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर रिकवरी एजेंट परिवार के सदस्यों के साथ भी अभद्र व्यवहार करते हैं। नए नियमों से इस समस्या पर काबू पाया जा सकेगा और ग्राहकों की गरिमा की रक्षा होगी।

तीसरा अधिकार

यह भी पढ़े:
BSNL 4G Network Start बीएसनल का 4G टावर इन 10 शहरों में शुरू मिलेगा हाई स्पीड इंटरनेट अब BSNL 4G Network Start

बैंक संपत्ति को बेचने या नीलाम करने से पहले 30 दिन का सार्वजनिक नोटिस जारी करना होगा। इस नोटिस में संपत्ति की बिक्री और नीलामी की संपूर्ण जानकारी देनी होगी जिसमें संपत्ति का विवरण, अनुमानित मूल्य, नीलामी की तारीख और स्थान शामिल है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि नीलामी प्रक्रिया पारदर्शी हो और संपत्ति का उचित मूल्य मिले। लोनधारक को इस दौरान अपनी बकाया राशि चुकाने का अवसर भी मिलता है।

पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया से यह फायदा होता है कि संपत्ति का बेहतर मूल्य मिलता है और लोनधारक के हितों की भी रक्षा होती है। कई बार जल्दबाजी में की गई नीलामी में संपत्ति कम दाम में बिक जाती है जिससे लोनधारक को अतिरिक्त नुकसान होता है।

चौथा अधिकार

यह भी पढ़े:
Gold Rate Today दिवाली पर इतना हो जाएगा 10 ग्राम सोने का भाव Gold Rate Today

यदि लोनधारक को लगता है कि नीलामी प्रक्रिया में उसकी संपत्ति का मूल्यांकन सही तरीके से नहीं हुआ है या कम कीमत लगाई गई है तो वह इस प्रक्रिया को न्यायालय में चुनौती दे सकता है। बैंक को संपत्ति पर कब्जा करने से पहले लोनधारक को अंतिम बार लोन चुकाने का मौका देना होगा। यह अधिकार महत्वपूर्ण है क्योंकि कई बार बैंक या नीलामकर्ता संपत्ति की वास्तविक कीमत से कम मूल्य निर्धारित करते हैं। न्यायालय की निगरानी में यह सुनिश्चित होता है कि नीलामी निष्पक्ष तरीके से हो।

इस व्यवस्था से लोनधारक को न्याय पाने का अवसर मिलता है और बैंकों को भी सही प्रक्रिया अपनाने के लिए प्रेरणा मिलती है। न्यायिक समीक्षा की संभावना से बैंक अधिक सावधानी बरतते हैं।

पांचवा अधिकार

यह भी पढ़े:
Solar Rooftop Subsidy Yojana सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना के फॉर्म भरना शुरू Solar Rooftop Subsidy Yojana

संपत्ति की बिक्री के बाद यदि लोन की बकाया राशि से अधिक पैसा मिलता है तो वह अतिरिक्त राशि लोनधारक का हक है। बैंक को यह राशि लोनधारक को वापस करनी होगी। इसके लिए लोनधारक को आवेदन करना होगा और बैंक को निर्धारित समय सीमा में यह राशि लौटानी होगी। यह प्रावधान बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर संपत्ति का मूल्य लोन राशि से अधिक होता है। पहले इस अतिरिक्त राशि को लेकर स्पष्टता नहीं थी और कई बार बैंक इसे अपने पास रख लेते थे।

अब लोनधारक को यह अधिकार मिलने से उसे पूर्ण न्याय मिलेगा। यदि किसी व्यक्ति की 10 लाख रुपये की संपत्ति 5 लाख रुपये के लोन के बदले नीलाम होती है तो बचे हुए 5 लाख रुपये उसे वापस मिलेंगे।

बैंकिंग ओंबड्समैन की भूमिका

यह भी पढ़े:
Gold Rate जुलाई अगस्त में इतने हो जाएंगे 10 ग्राम गोल्ड के रेट Gold Rate

आरबीआई की नई गाइडलाइन में बैंकिंग ओंबड्समैन की भूमिका को मजबूत बनाया गया है। यदि कोई बैंक या रिकवरी एजेंट इन नियमों का उल्लंघन करता है तो ग्राहक बैंकिंग ओंबड्समैन के पास शिकायत दर्ज कर सकता है। ओंबड्समैन की जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाती है। यह व्यवस्था ग्राहकों को मुफ्त और तत्काल न्याय प्रदान करती है। बैंकिंग ओंबड्समैन का फैसला बैंकों के लिए बाध्यकारी होता है।

इस व्यवस्था से ग्राहकों का भरोसा बैंकिंग प्रणाली पर बढ़ता है और बैंक भी अधिक जिम्मेदारी से काम करते हैं। ओंबड्समैन की निष्पक्षता से दोनों पक्षों को न्याय मिलता है।

नई गाइडलाइन का प्रभाव

यह भी पढ़े:
Income Tax Notice पत्नी को कैश देने पर भी आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस, 90 प्रतिशत लोग नहीं जानते नियम Income Tax Notice

आरबीआई की यह नई गाइडलाइन भारतीय बैंकिंग प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार है। इससे लोन रिकवरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा होगी। बैंकों को भी स्पष्ट दिशा-निर्देश मिल गए हैं जिससे वे कानूनी सीमाओं के भीतर रहकर अपना काम कर सकेंगे। यह व्यवस्था लोन डिफॉल्ट की स्थिति में होने वाले मानसिक तनाव और सामाजिक अपमान को कम करेगी। ग्राहक अब बेहतर सुरक्षा महसूस करेंगे और बैंकों पर भी अधिक भरोसा करेंगे।

भविष्य में यह गाइडलाइन भारतीय वित्तीय सेवा क्षेत्र में ग्राहक सेवा के मानकों को ऊंचा उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

Disclaimer

यह भी पढ़े:
daughter-in-law's property rights बहू का ससुर की संपत्ति में है कितना अधिकार, जानें कानूनी प्रावधान daughter-in-law’s property rights

यह लेख सामान्य जानकारी और शिक्षा के उद्देश्य से तैयार किया गया है। आरबीआई की गाइडलाइन समय-समय पर अपडेट होती रहती है। लोन संबंधी किसी भी समस्या के लिए संबंधित बैंक या वित्तीय संस्थान से संपर्क करना उचित होगा। कानूनी सलाह के लिए योग्य वकील से सलाह लें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

Leave a Comment