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किराएदारों को मिले 5 कानूनी अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमर्जी tenant rights 2025

By Meera Sharma

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tenant rights 2025

tenant rights 2025: भारत में किराए के मकान में रहने वाले लाखों लोगों को अक्सर मकान मालिकों की मनमानी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को देखते हुए भारतीय संसद ने 1948 में केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम बनाया था। इस कानून का मुख्य उद्देश्य किराएदारों और मकान मालिकों दोनों के अधिकारों की सुरक्षा करना है। यह अधिनियम विभिन्न राज्यों में अलग-अलग रूपों में लागू किया गया है, लेकिन इसके मूल सिद्धांत सभी जगह समान हैं।

किराएदारी के मामलों में होने वाले विवादों को कम करने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए यह कानून बनाया गया है। इसमें मकान मालिक और किराएदार दोनों के कर्तव्य और अधिकार स्पष्ट रूप से निर्धारित किए गए हैं। आज के समय में जब शहरीकरण बढ़ रहा है और अधिक लोग किराए के मकानों में रह रहे हैं, तो इन कानूनी प्रावधानों की जानकारी रखना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यह कानून किराएदारों को कई महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है जिनकी जानकारी हर किराएदार को होनी चाहिए।

निजता का मौलिक अधिकार

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किराएदारों का सबसे महत्वपूर्ण अधिकार निजता का अधिकार है। यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि मकान मालिक बिना किराएदार की अनुमति के उसके कमरे या घर में प्रवेश नहीं कर सकता। यह एक संवैधानिक अधिकार है और इसका उल्लंघन कानूनी अपराध माना जाता है। किराएदार अपने निवास स्थान पर पूर्ण निजता की अपेक्षा कर सकता है और मकान मालिक को इसका सम्मान करना होगा।

यदि मकान मालिक को किसी आपातकालीन स्थिति में घर में प्रवेश करना हो तो उसे पहले किराएदार को सूचित करना होगा और उसकी अनुमति लेनी होगी। केवल अत्यधिक आपातकाल की स्थिति में ही बिना अनुमति प्रवेश किया जा सकता है। किराए में वृद्धि के मामले में भी मकान मालिक को कम से कम तीन महीने पहले लिखित नोटिस देना आवश्यक है। यह नियम रेंट एग्रीमेंट में भी स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।

अचानक बेदखली से सुरक्षा

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कानून किराएदारों को अचानक बेदखली से बचाने के लिए मजबूत सुरक्षा प्रदान करता है। यदि किराएदार का रेंट एग्रीमेंट वैध है तो मकान मालिक उसे अचानक घर से नहीं निकाल सकता। बेदखली के लिए मकान मालिक को वाजिब कारण बताना होगा और उचित नोटिस देना होगा। यह नियम किराएदारों को आवास की सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें मानसिक शांति देता है।

मकान मालिक केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही किराएदार को निकाल सकता है। इनमें लगातार दो महीने तक किराया न देना, संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, अवैध व्यावसायिक गतिविधियां चलाना या एग्रीमेंट के नियमों का उल्लंघन करना शामिल है। इन सभी स्थितियों में भी मकान मालिक को पहले लिखित नोटिस देना होगा और किराएदार को अपनी सफाई देने का मौका देना होगा। यह प्रक्रिया किराएदारों को अनुचित बेदखली से बचाती है।

मूलभूत सुविधाओं का अधिकार

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प्रत्येक किराएदार को अपने निवास स्थान पर मूलभूत सुविधाएं प्राप्त करने का अधिकार है। इन सुविधाओं में बिजली का कनेक्शन, पानी की उचित व्यवस्था, शौचालय की सुविधा और सफाई व्यवस्था शामिल है। मकान मालिक इन बुनियादी सुविधाओं से इनकार नहीं कर सकता क्योंकि ये मानवीय गरिमा के लिए आवश्यक हैं। यदि मकान मालिक इन सुविधाओं में कोई कमी करता है तो किराएदार कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

किराएदार को घर लेते समय ही इन सभी सुविधाओं की जांच कर लेनी चाहिए और रेंट एग्रीमेंट में इन्हें स्पष्ट रूप से शामिल करना चाहिए। यदि बाद में इन सुविधाओं में कोई समस्या आती है तो मकान मालिक की जिम्मेदारी है कि वह इन्हें ठीक कराए। विभिन्न राज्यों में इन सुविधाओं के मानक अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन बुनियादी जरूरतें सभी जगह समान हैं। किराएदार को इन अधिकारों की जानकारी रखनी चाहिए ताकि वह अपने हकों की रक्षा कर सके।

पारिवारिक सुरक्षा का अधिकार

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किराएदारी कानून में एक महत्वपूर्ण प्रावधान पारिवारिक सुरक्षा से संबंधित है। यदि किराएदार की रेंट एग्रीमेंट की अवधि के दौरान अचानक मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को तुरंत घर से नहीं निकाला जा सकता। इस स्थिति में रेंट एग्रीमेंट की शेष अवधि के लिए परिवार के किसी सदस्य के नाम पर नया एग्रीमेंट बनाया जा सकता है। यह प्रावधान परिवार को अचानक आई आपदा के समय आवास की सुरक्षा प्रदान करता है।

यह नियम विशेष रूप से उन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण है जहां केवल एक व्यक्ति कमाने वाला है। मकान मालिक को इस स्थिति में मानवीयता दिखानी होती है और परिवार को घर से निकालने से पहले उचित समय देना होता है। कानून यह भी सुनिश्चित करता है कि ऐसी परिस्थितियों में किराया दरें वही रहें जो पहले निर्धारित थीं। यह सामाजिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो किराएदारी कानून की मानवीय भावना को दर्शाता है।

सिक्योरिटी डिपॉजिट की वापसी का अधिकार

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किराए पर घर लेते समय मकान मालिक आमतौर पर सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में एक राशि लेता है। यह राशि संभावित नुकसान की भरपाई के लिए ली जाती है, लेकिन यदि घर छोड़ते समय कोई नुकसान नहीं हुआ है तो किराएदार का पूरी राशि वापस पाने का अधिकार है। मकान मालिक इस राशि को बिना कारण नहीं रख सकता। यदि कोई नुकसान हुआ है तो उसकी वास्तविक लागत काटकर शेष राशि वापस करनी होगी।

सिक्योरिटी डिपॉजिट की राशि और उसकी वापसी की शर्तें रेंट एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से लिखी जानी चाहिए। किराएदार को घर की हालत के फोटो लेकर रखने चाहिए ताकि बाद में किसी विवाद की स्थिति में सबूत के रूप में इस्तेमाल कर सके। यदि मकान मालिक अनुचित कटौती करता है या राशि वापस करने से मना करता है तो किराएदार उपभोक्ता अदालत या सिविल कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकता है। यह अधिकार किराएदारों की आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

Disclaimer

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यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। किराएदारी कानून राज्यवार अलग हो सकते हैं और समय-समय पर इनमें संशोधन होते रहते हैं। किसी भी कानूनी विवाद या समस्या के लिए योग्य वकील या कानूनी सलाहकार से परामर्श लेना आवश्यक है। अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए हमेशा लिखित रेंट एग्रीमेंट बनवाएं।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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