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किरायदारों को मिल गए 6 कानूनी अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमानी tenants rights

By Meera Sharma

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tenants rights

tenants rights: आज के समय में किराए पर घर लेना एक आम बात हो गई है, लेकिन कई बार मकान मालिकों की मनमानी से किराएदारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मकान मालिक अक्सर अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए किराएदारों को डराते-धमकाते हैं या उनसे अनुचित मांगें करते हैं। लेकिन अब किराएदारों को परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि कानून ने उन्हें कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए हैं। इन अधिकारों की जानकारी रखकर किराएदार अपने हितों की बेहतर सुरक्षा कर सकते हैं और मकान मालिकों की मनमानी का सामना कर सकते हैं।

किराया नियंत्रण अधिनियम की पृष्ठभूमि

भारत में किराएदारों और मकान मालिकों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए 1948 में केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम बनाया गया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य किराएदारों और मकान मालिकों के बीच होने वाले विवादों को कम करना और दोनों पक्षों के अधिकारों की रक्षा करना था। इस कानून में संपत्ति को किराए पर देने के नियमों की विस्तृत व्याख्या की गई है और किराएदारों को कई महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान की गई है। कई राज्यों ने अपने अलग किराया नियंत्रण अधिनियम भी बनाए हैं जो स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल हैं।

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अनुचित निकासी से सुरक्षा

किराएदारों का पहला और सबसे महत्वपूर्ण अधिकार यह है कि मकान मालिक उन्हें बिना किसी ठोस कारण के घर से बाहर नहीं कर सकता। मकान मालिक केवल तभी किराएदार को निकाल सकता है जब किराएदार लगातार दो महीने से किराया नहीं दे रहा हो, संपत्ति में कोई गैरकानूनी काम कर रहा हो या संपत्ति को जानबूझकर नुकसान पहुंचा रहा हो। इन स्थितियों में भी मकान मालिक को किराएदार को 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है। यह नियम किराएदारों को अचानक होने वाली बेदखली से बचाता है और उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था करने का समय देता है।

बुनियादी सुविधाओं का अधिकार

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दूसरा महत्वपूर्ण अधिकार यह है कि मकान मालिक किराएदार को बुनियादी सुविधाओं से वंचित नहीं कर सकता। इन सुविधाओं में शौचालय, बिजली, पानी की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं शामिल हैं। यदि मकान मालिक इन सुविधाओं को बंद करता है या इनसे इनकार करता है तो किराएदार संबंधित प्राधिकारी के पास शिकायत दर्ज करा सकता है। यह अधिकार किराएदारों के जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए बहुत आवश्यक है और उनकी गरिमा की रक्षा करता है।

किराया वृद्धि पर नियंत्रण

तीसरा अधिकार किराया निर्धारण से संबंधित है जहां मकान मालिक मनमाना किराया नहीं ले सकता। किराया वृद्धि के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है और इसकी दर भी तय होती है। मकान मालिक को किराया बढ़ाने से कम से कम तीन महीने पहले किराएदार को नोटिस देना होता है। रेंट एग्रीमेंट में इन सभी नियमों का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए जो दोनों पक्षों के लिए कानूनी दस्तावेज का काम करता है। यह नियम किराएदारों को अचानक होने वाली किराया वृद्धि से बचाता है और उन्हें आर्थिक नियोजन करने में मदद करता है।

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पारिवारिक सदस्यों की सुरक्षा

चौथा अधिकार पारिवारिक सुरक्षा से संबंधित है जिसके अनुसार यदि किराएदार की अचानक मृत्यु हो जाए तो मकान मालिक उसके परिवार को तुरंत घर से बाहर नहीं कर सकता। इस स्थिति में मकान मालिक को मृतक के परिवार के साथ बचे हुए समय के लिए नया एग्रीमेंट करना होता है। यह प्रावधान परिवार के सदस्यों को कठिन समय में अतिरिक्त परेशानी से बचाता है और उन्हें वैकल्पिक आवास की व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त समय देता है।

सिक्योरिटी राशि के नियम

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पांचवा अधिकार सिक्योरिटी डिपॉजिट और संपत्ति के रखरखाव से जुड़ा है। मकान के रखरखाव की जिम्मेदारी मुख्यतः मकान मालिक की होती है और वह इसका खर्च किराएदार पर नहीं डाल सकता। यदि किराएदार को रखरखाव का कोई काम करना पड़े तो उसे किराए में कटौती करने का अधिकार है। सिक्योरिटी राशि को लेकर भी स्पष्ट नियम हैं कि घर छोड़ने के 30 दिन बाद यह राशि वापस करनी होती है या इसे किराए में समायोजित किया जा सकता है।

निजता का अधिकार

छठा और अंतिम अधिकार निजता से संबंधित है जो किराएदारों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मकान मालिक किराएदार की प्राइवेसी का उल्लंघन नहीं कर सकता और बिना अनुमति उसके कमरे में प्रवेश नहीं कर सकता। किराएदार के कमरे में जाने के लिए मकान मालिक को पहले से अनुमति लेनी होती है। यह अधिकार किराएदारों को मानसिक शांति प्रदान करता है और उन्हें अपने निजी स्थान में सुरक्षा का एहसास दिलाता है।

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सुझाव और सावधानियां

किराएदारों को सलाह दी जाती है कि वे हमेशा लिखित रेंट एग्रीमेंट बनवाएं और इसमें सभी नियमों का स्पष्ट उल्लेख करवाएं। किसी भी समस्या के समय कानूनी सलाह लें और अपने अधिकारों का सही उपयोग करें। मकान मालिक के साथ बातचीत में हमेशा शांति बनाए रखें और जरूरत पड़ने पर ही कानूनी कार्रवाई का सहारा लें।

Disclaimer

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यह जानकारी सामान्य कानूनी जानकारी के लिए है और किसी विशिष्ट कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है। राज्य के अनुसार नियमों में अंतर हो सकता है, इसलिए किसी भी विवाद की स्थिति में योग्य वकील से सलाह लेना आवश्यक है।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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